गुरुवार का दिन भूगर्भीय दृष्टि से काफी अशांत रहा। दुनिया के अलग-अलग कोनों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। ताइवान में मध्यम तीव्रता का भूकंप आया, तो वहीं अफगानिस्तान और भारत के मणिपुर में भी धरती डोली। हालांकि, राहत की बात यह रही कि फिलहाल जान-माल के बड़े नुकसान की कोई तात्कालिक सूचना नहीं मिली है।
ताइवान और अफगानिस्तान में तीव्रता
ताइवान के हुआलियन शहर से 18 किलोमीटर दूर 5.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। ताइवान अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अक्सर भूकंपों का सामना करता रहता है।
वहीं, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, अफगानिस्तान में देर रात 4.1 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप की सबसे चिंताजनक बात इसकी गहराई थी। यह मात्र 10 किलोमीटर की उथली (Shallow) गहराई पर था। वैज्ञानिकों के अनुसार, उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक विनाशकारी होते हैं क्योंकि उनकी ऊर्जा को सतह तक पहुँचने में कम समय लगता है, जिससे कंपन अधिक तीव्र होता है।
अफगानिस्तान: बार-बार का संकट
अफगानिस्तान, विशेष रूप से हिंदूकुश क्षेत्र, दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है।
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हालिया इतिहास: 4 नवंबर को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी, जिसमें 27 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए।
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कारण: अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियन विवर्तनिक प्लेटों (Tectonic Plates) के टकराव क्षेत्र पर स्थित है। यहाँ से गुजरने वाली प्रमुख फॉल्ट लाइन्स इसे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील बनाती हैं। दशकों के संघर्ष और गरीबी के कारण यहाँ के समुदायों में इन आपदाओं को सहने की क्षमता भी बहुत कम है।
भारत में मणिपुर और लद्दाख में झटके
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के उखरुल में देर रात 2:58 बजे 2.9 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। NCS के अनुसार, इसका केंद्र जमीन से 35 किलोमीटर नीचे था। इसके अलावा:
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लद्दाख: मंगलवार देर रात लेह में 3.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र 10 किमी गहराई पर था।
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पड़ोसी देश: म्यांमार में 4.4 तीव्रता और तिब्बत में 3.8 तीव्रता के झटके भी पिछले 48 घंटों में दर्ज किए गए।
उथला भूकंप (Shallow Earthquake) क्यों है खतरनाक?
भूकंप विज्ञान के अनुसार, जब भूकंप का केंद्र (Focus) सतह के करीब होता है, तो भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) अपनी शक्ति खोए बिना सतह तक पहुँच जाती हैं। इससे इमारतों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचने की संभावना बढ़ जाती है। अफगानिस्तान के हालिया झटके इसी श्रेणी में आते हैं।