इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में फैली भीषण हिंसा ने अब एक नया वैचारिक मोड़ ले लिया है। मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को "जिहादिस्तान" की ओर बढ़ता कदम बताया है। नसरीन के इस बयान ने सोशल मीडिया से लेकर गलियारों तक नई बहस छेड़ दी है।
"एक जिहादी की मौत पर हजारों का उपद्रव"
तसलीमा नसरीन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर बांग्लादेश में हो रही तोड़फोड़ और आगजनी की आलोचना करते हुए लिखा कि मुल्क में जो हो रहा है, वह सामान्य नहीं है। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, "एक जिहादी की मौत पर हजारों जिहादी पूरे बांग्लादेश में उपद्रव मचा रहे हैं। जो मिल रहा है उसे तोड़ रहे हैं, आग के हवाले कर रहे हैं और सबको राख बना दे रहे हैं।"
नसरीन ने अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताते हुए एक दर्दनाक उदाहरण भी साझा किया। उन्होंने लिखा कि हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को एक जिहादी के कारण पेड़ से लटका कर जला दिया गया, लेकिन उस समय किसी के हाथ नहीं कांपे और न ही किसी को दुख हुआ। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 'नारा-ए-तकबीर' के नारों के बीच की जा रही यह हिंसा ही "जिहादिस्तान" का असली चेहरा है।
कौन था उस्मान हादी और कैसे हुई मौत?
उस्मान हादी इंकलाब मंच का प्रवक्ता था और जुलाई 2024 में हुए उस छात्र आंदोलन का प्रमुख चेहरा था, जिसके कारण शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। वह आगामी राष्ट्रीय चुनावों में ढाका-8 सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था।
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हमला: सात दिन पहले चुनाव प्रचार के दौरान दो अज्ञात युवकों ने उसके सिर में गोली मार दी थी।
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उपचार: गंभीर हालत को देखते हुए अंतरिम सरकार ने उसे ढाका से सिंगापुर एयरलिफ्ट कराया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
हिंसा की आग में झुलसते शहर और दूतावास पर हमला
हादी की मौत के बाद ढाका और चटगांव जैसे प्रमुख शहर हिंसा की चपेट में हैं। गुस्साई भीड़ ने न केवल दो बड़े मीडिया घरानों के दफ्तरों को आग के हवाले किया, बल्कि चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग (Consulate) पर भी हमला किया गया। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन गई है।
राजनीतिक दलों ने बनाई दूरी
हैरानी की बात यह है कि इस हिंसा की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। खुद इंकलाब मंच, जिसके लिए हादी काम करता था, उसने कहा है कि वे नहीं जानते कि उपद्रव करने वाले लोग कौन हैं। वहीं, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी जैसे बड़े संगठनों ने भी इस तोड़फोड़ से खुद को अलग कर लिया है।
वर्तमान स्थिति
राजधानी ढाका और चटगांव के संवेदनशील इलाकों में भारी तनाव को देखते हुए सेना ने कमान संभाल ली है। कई इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है और कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है। तसलीमा नसरीन के बयानों ने इस बात को फिर से हवा दे दी है कि क्या बांग्लादेश में कट्टरपंथ अब मुख्यधारा की राजनीति और व्यवस्था पर हावी होता जा रहा है।