बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता की आग में झुलस रहा है। जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरे और 'छात्र शक्ति' के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। 12 दिसंबर को ढाका के पुराना पल्टन इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान हादी पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसके बाद 18 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। इस घटना ने देश में अराजकता को और हवा दी है, जिसका सीधा फायदा सीमा पार से संचालित होने वाले आतंकी संगठन उठा रहे हैं।
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश के मौजूदा हालातों के बीच 8 प्रमुख लोकेशंस पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन और कट्टरपंथी गुट सक्रिय हो गए हैं। इनमें से कई लोकेशंस भारत की सीमा के बेहद करीब हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा अलार्म है।
प्रमुख आतंकी लोकेशंस और उनकी गतिविधियां:
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चटगांव-लालखान (अंसार अल-इस्लाम और लश्कर-ए-तैयबा): चटगांव के लालखान क्षेत्र में अल-कायदा से जुड़े अंसार अल-इस्लाम और कुख्यात संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की सक्रियता बढ़ी है। रिपोर्टों के अनुसार, बर्खास्त मेजर जिया और हारुन इजहार इस नेटवर्क को कोआर्डिनेट कर रहे हैं। लश्कर वही संगठन है जिसने भारत में 2008 के मुंबई हमलों जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दिया था।
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बासिला (संदिग्ध गतिविधियां): ढाका के बासिला इलाके में भी आतंकवादी गतिविधियां देखी गई हैं, हालांकि अभी संगठन के नाम की पुष्टि नहीं हुई है।
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तामिर-उल-मिल्लत मदरसा (ISI और इस्लामी छात्र संघ): इस लोकेशन पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन 'छात्र शिबिर' के सक्रिय होने की सूचना है। यह संगठन ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेश की आजादी का विरोधी और पाकिस्तान समर्थक रहा है।
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चटगांव पहाड़ी क्षेत्र (जमातुल अंसार फिल हिंदल): यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि इसकी सीमाएं भारत के त्रिपुरा और मिजोरम के साथ-साथ म्यांमार से भी लगती हैं। यहाँ जमातुल अंसार फिल हिंदल शर्किया (JAFHS) सक्रिय है। इसके संस्थापक शामिन महफूज की रिहाई के बाद इस संगठन ने फिर से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं।
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बोगुरा और चापाइनवाबगंज (Neo-JMB - भारत बॉर्डर के पास): सबसे गंभीर चिंता चापाइनवाबगंज को लेकर है, जो भारत के पश्चिम बंगाल (मालदा) से सीधे सटा हुआ है। यहाँ ISIS से प्रेरित नियो-जेएमबी (Neo-JMB) सक्रिय है। भारत की सीमा के इतने करीब इस हिंसक गुट का होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है।
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रिवरबैंक और ढाका (जमात-उल-मुजाहिदीन और हिज्ब उत-तहरीर): नदी तटीय क्षेत्रों में JMB और ढाका के आवासीय हॉलों में हिज्ब उत-तहरीर (HuT) जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी गुट अपनी पैठ बना रहे हैं।
सुरक्षा पर प्रभाव
बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता ने सुरक्षा तंत्र को कमजोर किया है। जेलों से कट्टरपंथी कैदियों की रिहाई और कानून-व्यवस्था की चरमराई स्थिति ने इन संगठनों को 'स्लीपर सेल' को फिर से सक्रिय करने का मौका दिया है। भारत के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि चटगांव हिल्स और चापाइनवाबगंज जैसे इलाकों से घुसपैठ और हथियारों की तस्करी का खतरा बढ़ गया है।