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भगवान राम को मुसलमान बताने वाले बंगाल के विधायक मदन मित्रा से जुड़े हैं कई विवाद, जानिए पूरी कुंडली

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Posted On:Friday, December 19, 2025

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों की आहट जैसे-जैसे तेज हो रही है, राज्य का राजनीतिक पारा नए रिकॉर्ड छू रहा है। बंगाल की राजनीति अपनी आक्रामकता और बयानों के लिए जानी जाती है, लेकिन हाल ही में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ विधायक मदन मित्रा के एक बयान ने राज्य में वैचारिक और राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। मदन मित्रा ने भगवान राम को लेकर एक विवादित टिप्पणी करते हुए उन्हें एक अन्य समुदाय से जोड़ दिया, जिसके बाद भाजपा ने इसे हिंदुओं की आस्था पर चोट बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

कौन हैं मदन मित्रा? रंगीन मिजाज और कद्दावर नेता

मदन मित्रा पश्चिम बंगाल की राजनीति के उन किरदारों में से एक हैं जिन्हें नजरअंदाज करना नामुमकिन है। अपने प्रशंसकों के बीच "मदन दा" के नाम से मशहूर मित्रा न केवल एक कद्दावर राजनेता हैं, बल्कि अपनी रंगीन जीवनशैली और अभिनय के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने कुछ फिल्मों में काम भी किया है और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता हमेशा चर्चा का विषय रहती है।

राजनीतिक सफर की शुरुआत: मदन मित्रा ने अपने करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 90 के दशक में उन्होंने दक्षिण कोलकाता में वामपंथियों के खिलाफ एक मजबूत जमीन तैयार की। उन्होंने टैक्सी ड्राइवर यूनियन और प्रतिष्ठित SSKM अस्पताल की यूनियन पर अपना दबदबा बनाया। 1998 में जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का गठन किया, तो मित्रा उनके सबसे भरोसेमंद साथियों में से एक बनकर उभरे।

सत्ता का शिखर और शारदा घोटाले का दाग

मदन मित्रा के राजनीतिक करियर का सबसे सुनहरा दौर 2011 में आया, जब बंगाल में ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ और ममता बनर्जी की सरकार बनी।

  • पहली जीत: 2011 में मित्रा कमरहाटी सीट से विधायक चुने गए।

  • मंत्री पद: ममता सरकार में उन्हें खेल, युवा मामले और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई।

हालांकि, 2015 में उनके करियर को तब बड़ा झटका लगा जब शारदा चिट फंड घोटाले में उनका नाम सामने आया। इस घोटाले के आरोपों और जेल जाने की वजह से उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

हार और फिर जोरदार वापसी

मदन मित्रा का राजनीतिक ग्राफ उतार-चढ़ाव भरा रहा है। शारदा घोटाले के दाग के बीच उन्होंने 2016 का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2019 में भाटपारा उपचुनाव में भी उन्हें सफलता नहीं मिली।

2021 की जीत: लगातार दो हार के बाद कई लोगों ने उनके करियर का अंत मान लिया था, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कमरहाटी सीट से फिर से जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया। वर्तमान में वह पश्चिम बंगाल परिवहन निगम (WBTC) के चेयरमैन के रूप में कार्यरत हैं।

विवादित बयान और चुनावी माहौल

अब जब बंगाल अगले चुनाव की ओर बढ़ रहा है, मदन मित्रा के हालिया बयान ने भाजपा को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि टीएमसी तुष्टिकरण की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। बंगाल की जनता धर्म और संस्कृति को लेकर अत्यंत संवेदनशील है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मदन मित्रा का यह "विवादास्पद दांव" उनकी पार्टी के लिए चुनावी चुनौती बनता है या हमेशा की तरह वह इस विवाद को भी हवा में उड़ा देंगे।


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