मुंबई, 05 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ भारत की सख्त कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी नई रिपोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कामकाज को एक प्रभावशाली वैश्विक मॉडल बताया है। FATF ने कहा कि भारत की कानूनी व्यवस्था और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम तंत्र मजबूत और विश्वसनीय है, जो अपराध से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करने और पीड़ितों को राहत दिलाने में अन्य देशों के लिए एक मिसाल बन गया है।
रिपोर्ट में FATF ने महाराष्ट्र के एक मामले का उदाहरण दिया है, जिसमें अवैध कमाई से खरीदी गई संपत्तियों को जब्त कर उन्हें पीड़ितों को वापस सौंपा गया। संस्था के अनुसार, भारत ने वित्तीय अपराधों से जब्त की गई संपत्तियों को समाजहित में उपयोग करने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। FATF का कहना है कि भारत का यह पीड़ित-केंद्रित मॉडल अन्य देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। संस्था ने ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (PMLA) और ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम’ (2018) को संपत्ति वसूली और प्रबंधन का एक प्रभावी और व्यापक मॉडल बताया है।
रिपोर्ट में ED की कई प्रमुख जांचों का जिक्र भी किया गया है, जिनमें रोज वैली पोंजी घोटाले में करीब 17,520 करोड़ रुपए की संपत्ति पीड़ितों को लौटाना, भारत-अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई में 268 बिटकॉइन और 10 लाख डॉलर मूल्य की संपत्तियों की जब्ती शामिल है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश पुलिस CID के साथ मिलकर 6,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों की बहाली और PMLA के तहत 17.77 अरब रुपए मूल्य की अचल संपत्ति जब्त करने जैसे उदाहरण भी रिपोर्ट में दर्ज किए गए हैं।
FATF ने कहा कि भारत ने तकनीक, वित्तीय डेटा विश्लेषण और एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के जरिये पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत किया है। संस्था ने माना कि भारत ने पीड़ितों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक नया वैश्विक मानक स्थापित किया है।
हालांकि, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने ED की कार्यप्रणाली पर नाराजगी भी जताई थी। शीर्ष अदालत में इस समय ED को दी गई गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने की शक्तियों पर पुनर्विचार चल रहा है। वर्ष 2022 में इस मामले पर सुनवाई तब शुरू हुई थी, जब देशभर में 200 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गईं। इनमें PMLA कानून की कई धाराओं को चुनौती दी गई थी, जिनमें गिरफ्तारी की प्रक्रिया, संपत्ति जब्ती, ECIR की प्रति न देने और जमानत की सख्त शर्तों जैसे प्रावधान शामिल थे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग दुनिया भर में गंभीर समस्या है और इससे निपटने के लिए सख्त कानून जरूरी हैं। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ED के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं माने जाते और ECIR को FIR की तरह अनिवार्य रूप से साझा करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी के समय कारण बताना पर्याप्त है।