नई दिल्ली: भारतीय विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) में लंबे समय से चला आ रहा एकछत्र राज अब खत्म होने की कगार पर है। हाल के दिनों में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन, इंडिगो (IndiGo) के गंभीर संकट ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। लेकिन अब यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शंख एयर (Shankh Air), अल हिन्द एयर (Al Hind Air) और फ्लाई एक्सप्रेस (Fly Express) को परिचालन के लिए हरी झंडी दे दी है।
इंडिगो का 'संकट' और मोनोपोली पर सवाल
दिसंबर 2025 की शुरुआत भारतीय यात्रियों के लिए बेहद कष्टदायक रही। डीजीसीए (DGCA) द्वारा लागू किए गए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL) नियमों और कर्मचारियों की भारी कमी के कारण इंडिगो पूरी तरह बैकफुट पर आ गई।
-
हजारों उड़ानें रद्द: अकेले दिसंबर के पहले पखवाड़े में इंडिगो की करीब 4,500 से अधिक उड़ानें रद्द या देरी का शिकार हुईं।
-
एयरपोर्ट्स पर हंगामा: दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे बड़े हवाई अड्डों पर यात्रियों का भारी जमावड़ा और आक्रोश देखा गया। मार्केट शेयर 60% से अधिक होने के कारण यात्रियों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था, जिससे 'मोनोपोली' के खतरों पर बहस तेज हो गई।
शंख एयर: उत्तर प्रदेश की पहली अपनी एयरलाइन
इस नई शुरुआत में सबसे ज्यादा चर्चा शंख एयर की है। यह उत्तर प्रदेश की पहली अनुसूचित (Scheduled) एयरलाइन है।
-
प्रमुख रूट्स: शुरुआत में यह एयरलाइन लखनऊ और नोएडा (जेवर एयरपोर्ट) को अपना केंद्र बनाएगी। यहाँ से वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, चित्रकूट, इंदौर और देहरादून के लिए सीधी उड़ानें शुरू की जाएंगी।
-
उड़ान योजना को मजबूती: माना जा रहा है कि सरकार की 'उड़ान' (UDAN) योजना ने इन छोटी एयरलाइंस को बड़े खिलाड़ियों के सामने खड़े होने की ताकत दी है।
अल हिन्द और फ्लाई एक्सप्रेस: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में इजाफा
केरल स्थित अल हिन्द एयर और फ्लाई एक्सप्रेस को भी मंत्रालय से एनओसी (NOC) मिल गया है। अल हिन्द एयर मुख्य रूप से दक्षिण भारत और खाड़ी देशों के बीच एक सेतु का काम करेगी, जबकि फ्लाई एक्सप्रेस क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को और अधिक सुलभ बनाएगी। इन तीन नई कंपनियों के आने से न केवल प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि हवाई किराए में भी गिरावट आने की उम्मीद है।
क्या बदलेगा यात्रियों के लिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि नई एयरलाइंस के आने से विमानन क्षेत्र में 'चेक एंड बैलेंस' की स्थिति बनेगी।
-
किराये में प्रतिस्पर्धा: अधिक विकल्प होने पर कंपनियां मनमाना किराया नहीं वसूल सकेंगी।
-
बेहतर सर्विस: स्टाफ की कमी और फ्लाइट कैंसिलेशन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अब इंडिगो और एअर इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों को अपनी गुणवत्ता सुधारनी होगी।
-
छोटे शहरों का विकास: टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए सीधी कनेक्टिविटी बढ़ने से पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।