निदेशक: रिची मेहता
लेखक: रिची मेहता
कलाकार: निमिषा सजयन, रोशन मैथ्यू, दिब्येंदु भट्टाचार्य, कानी कुसरुति
एपिसोड की संख्या: 8
स्ट्रीमिंग ऑन: अमेज़न प्राइम वीडियो
घने जंगल में एक गोली चलने की आवाज आती हैं, एक विशाल जीव अपने अद्भुत दांतो के चलते एक बेरहम शिकारी काशिकार हो जाता है, हाथी जमीन पर बेसुध हो जाता है, उसका खून निकल रहा हैं, लेकिन शिकारी को सिर्फ उसके दांतचाहिए, यह सब देख कर आपका दिल दुख जाता है, और यहीं से एक ट्विस्ट और टर्न्स से भरी जबरदस्त कहानी की शुरुआतहोती है. 'पोचर' शुरुआत से ही साफ कर देती है कि ये एक गंभीर मुद्दे पर बनी गंभीर सीरीज है, जो आपको कई ऐसी जगहोंपर लेकर जाएगी, जिसे देखकर आप बहुत कुछ महसूस करने वाले हैं!
भारत में 1991 में जानवरों के शिकार पर रोक लगा दी गई थी. भारतीय वन्यजीव अधिनियम के तहत ये किया गया था. 1995 में केरल के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने देश के सबसे बड़े हाथियों का शिकार करने रैकेट का पर्दाफाश किया था. इस रैकेटकी पहुंचे विदेशों के बड़े और खतरनाक गैंग्स तक थी. सीरीज के डायरेक्टर रिची मेहता ने इस सब्जेक्ट पर गहरी रिसर्च कीहै और ये बात 'पोचर' को देखकर साफ समझ में भी आती है.
हाथियों के शिकार, हाथी दांत की गैर-कानूनी तस्करी और उससे जोड़े अलग-अलग रिंग्स को आप सीरीज में देखते हैं. इसकी शुरुआत एक शिकारी के खुद को सरेंडर करने से होती है. वो राज नाम के शख्स के बारे में बताता है, जो पुलिस केसामने शिकार छोड़ देने की इमेज बनाकर उनके पीठ पीछे अवैध रूप से हाथियों की हत्या कर रहा है. राज की शुरू होतीतलाश होती है. सीनियर फॉरेस्ट अफसर नील (दिबयेन्दु भट्टाचार्य) अपनी एक टीम खड़ी करते हैं, जिनके ऊपर हाथियों केशिकार को रोकने और इसके पीछे छिपे लोगों का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी है.
फॉरेस्ट अफसर माला जोगी (मिनिषा सजयन) को इस केस की जिम्मेदारी दी जाती है. माला के साथ है एलन (रोशन मैथ्यू), जो कि नंबर्स के साथ-साथ सांपों के एक्सपर्ट भी हैं और एक्ट्रेस कनी कुश्रुति. माला जानवरों से प्यार करती है. ये केस उसकेलिए खास है, क्योंकि उसके पिता खुद एक शिकारी रह चुके हैं. अपने पिता के पाप का प्रायश्चित करती और शिकारियों काशिकार करती माला का रास्ता आसान नहीं है. लेकिन फिर भी वो, नील और एलन अपने परिवारों को छोड़ इस सफर परनिकल पड़े हैं, बिना जाने कि आगे उनके रास्ते में क्या-क्या होने वाला है.
मिनिषा सजयन, रोशन मैथ्यू और दिबयेन्दु भट्टाचार्य ने इस सीरीज में बढ़िया काम किया है. तीनों ने अपने किरदारों परमेहनत की है, जो स्क्रीन पर नजर आती है. एक्ट्रेस कनी कुश्रुति ने भी अपनी भूमिका को अच्छे से निभाया है. जब वो स्क्रीनपर नहीं होतीं तो आप उन्हें मिस करते हो.
डायरेक्टर रिची मेहता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो सीरियस मुद्दों को जरूरी सेंसिटिविटी से परोसना जानते हैं. हां, 'पोचर' बीच मेन थोड़ी ढीली पड़ती है. इसके कई सीक्वेंस ड्रामैटिक भी हैं. लेकिन अपनी इस सीरीज से डायरेक्टर रिचीआपको बहुत बड़ी सीख देते हैं. साथ ही आपको उस दर्द को भी महसूस करवाते हैं, जानवरों के साथ हो रही बेरहमी कोदेखकर आपको होना चाहिए. कुल-मिलाकर 'पोचर' देखना आपके लिए काफी जरूरी है.