24 अक्टूबर का दिन वैश्विक इतिहास में एक ऐसे मोड़ का प्रतीक है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका के बाद दुनिया को एकजुटता और शांति का नया रास्ता दिखाया। यह तारीख संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की स्थापना के लिए जानी जाती है, जिसने दुनिया के देशों के बीच संवाद, सहयोग और मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए एक स्थायी मंच प्रदान किया। इसके साथ ही, यह दिन भारत की कला, राजनीति और समाज को दिशा देने वाली कई महान हस्तियों के जन्म और निधन की स्मृति को भी संजोए हुए है।
इतिहास के पन्नों में 24 अक्टूबर
संयुक्त राष्ट्र दिवस: वैश्विक सहयोग का उदय (1945)
24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र चार्टर प्रभावी हुआ, जिसने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की स्थापना की। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के कुछ ही हफ्तों बाद, दुनिया की प्रमुख शक्तियों—चीन, फ्रांस, सोवियत संघ (अब रूस), यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका—सहित अधिकांश हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा चार्टर को मंजूरी दिए जाने के बाद यह संस्था अस्तित्व में आई। हर साल इस दिन को संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो वैश्विक शांति, विकास और मानव अधिकारों के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
भारत में परिवहन और संचार का क्रांतिकारी कदम
24 अक्टूबर भारत में दो प्रमुख बुनियादी ढांचागत परिवर्तनों का गवाह रहा है:
टेलीग्राफ लाइन की शुरुआत (1851): कलकत्ता (अब कोलकाता) और डायमंड हार्बर के बीच पहली आधिकारिक टेलीग्राफ लाइन की शुरुआत हुई। यह संचार क्रांति की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम था।
मेट्रो रेल का प्रारंभ (1984): भारत की पहली मेट्रो रेल सेवा कोलकाता में एस्प्लेनेड और भवानीपुर के बीच शुरू हुई। यह शहरी परिवहन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव था, जिसने बाद में दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर परिवहन के तरीके को बदल दिया।
मुगल साम्राज्य की बागडोर (1605)
यह वह दिन भी है जब मुगल बादशाह अकबर के निधन के बाद उनके बेटे शहजादे सलीम ने आगरा में मुगल सल्तनत की बागडोर संभाली। इतिहास में उन्हें जहाँगीर के नाम से जाना जाता है।
अन्य ऐतिहासिक घटनाएँ
1577: सिखों के चौथे गुरु रामदास ने अमृतसर शहर की स्थापना की।
1947: जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी कबाइलियों ने हमला किया, जिसने भारत-पाक संघर्ष की नींव रखी।
1975: भारत में बंधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया।
1982: सुधा माधवन मैराथन में दौड़ने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।
24 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति
24 अक्टूबर ने कला, राजनीति और खेल जगत को कई असाधारण प्रतिभाएं दी हैं:
बहादुर शाह जफर (1775): भारत के आखिरी मुगल शासक और उर्दू के एक प्रसिद्ध शायर।
लक्ष्मी सहगल (1914): भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, डॉक्टर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज की कैप्टन। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष किया।
आर. के. लक्ष्मण (1921): देश के सबसे चर्चित और सम्मानित कार्टूनिस्ट। उनके प्रसिद्ध 'कॉमन मैन' (Common Man) के माध्यम से उन्होंने व्यंग्यात्मक शैली में देश के ज्वलंत मुद्दों को प्रस्तुत करने में महारत हासिल की।
पेले (1940): ब्राजील के महान फुटबॉल खिलाड़ी, जिन्हें व्यापक रूप से फुटबॉल के इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म इसी दिन हुआ था।
कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन (1940): भारत के प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष।
मल्लिका शेरावत (1972): हिन्दी फ़िल्मों की अभिनेत्री।
24 अक्टूबर को हुई प्रसिद्ध व्यक्तियों की मृत्यु
यह दिन कुछ असाधारण हस्तियों की पुण्यतिथि भी है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी:
रफी अहमद किदवई (1954): भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रमुख राजनीतिज्ञ।
इस्मत चुग़ताई (1991): भारत की प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार और उपन्यासकार, जो अपनी बोल्ड और सामाजिक विषयों पर आधारित लेखन के लिए जानी जाती हैं।
सीताराम केसरी (2000): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष।
मन्ना डे (2013): सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक, जिन्हें वर्ष 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
गिरिजा देवी (2017): प्रसिद्ध ठुमरी गायिका, जिन्हें ठुमरी की रानी माना जाता था और जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध करने के लिए जानी जाती हैं।
पीयूष पांडे (2025): भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज 'एड गुरु', जिन्होंने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' जैसे कई सफल विज्ञापन अभियानों का नेतृत्व किया। (यह 2025 की एक काल्पनिक घटना है, सर्च परिणाम के आधार पर)
24 अक्टूबर की तारीख इतिहास, कला और राजनीति के उन महान क्षणों और व्यक्तियों को याद करने का अवसर प्रदान करती है, जिन्होंने दुनिया और भारत की सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना को आकार दिया। यह संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के माध्यम से वैश्विक एकजुटता की भावना को भी मजबूत करती है।