मुंबई, 11 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली में शुक्रवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों को प्रवेश न देने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि भारत में हमारे ही देश की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया, जबकि महिलाएं ही इस देश की रीढ़ और गौरव हैं। विवाद बढ़ने पर विदेश मंत्रालय (MEA) ने सफाई दी कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भारत सरकार की ओर से नहीं किया गया था। मंत्रालय ने बताया कि यह कार्यक्रम अफगानिस्तान दूतावास में हुआ था और मुंबई स्थित अफगान काउंसिल जनरल ने ही 10 अक्टूबर को चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रित किया था। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अफगान दूतावास भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। मुत्तकी 9 से 16 अक्टूबर तक भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अफगान दूतावास में अकेले प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें केवल कुछ चुनिंदा पुरुष पत्रकारों और अफगान अधिकारियों को शामिल होने दिया गया। महिला पत्रकारों को एंट्री से रोक दिया गया, जिसके बाद कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुत्तकी के साथ आए तालिबान अधिकारियों ने ही तय किया था कि कौन पत्रकार अंदर जाएगा। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस फैसले की जानकारी पहले से भारत को दी गई थी या नहीं। विवाद बढ़ने पर अफगान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने सफाई देते हुए कहा कि महिला पत्रकारों को न बुलाना किसी नीति या भेदभाव का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह अनजाने में हुआ। उन्होंने कहा कि पास की संख्या सीमित थी और भविष्य में भारत में जब भी प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, महिला पत्रकारों को शामिल किया जाएगा, यदि सही समन्वय और पूर्व सूचना हो।
गौरतलब है कि 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। लड़कियों के स्कूल जाने, सार्वजनिक रूप से बोलने, चेहरा दिखाने और खेलों में भाग लेने पर रोक लगाई गई है। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार को घेरा है। राहुल गांधी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी महिला पत्रकारों को सार्वजनिक मंचों से बाहर रखने की अनुमति देते हैं, तो वे भारत की हर महिला को यह संदेश देते हैं कि वे उनके लिए खड़े नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं पर पीएम की चुप्पी नारी शक्ति पर उनके नारों की पोल खोलती है। कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि जब पुरुष पत्रकारों को पता चला कि महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया है, तो उन्हें विरोध में बाहर चले जाना चाहिए था। वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक विदेशी कट्टरपंथी अपनी ‘आस्था’ के नाम पर भारत की जमीन पर महिलाओं के साथ भेदभाव कर सकता है, यह बेहद शर्मनाक है।