मुंबई, 22 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बढ़ते एयर पॉल्यूशन पर कहा, उत्तर भारत में एयर पॉल्यूशन नेशनल इमरजेंसी है। ये पब्लिक हेल्थ क्राइसिस है, जो हमारे बच्चों का भविष्य छीन रहा है और बुजुर्गों का दम घोंट रहा है। एक पर्यावरणीय और आर्थिक आपदा जो अनगिनत लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो और मैसेज शेयर किया। इसमें वे इंडिया गेट पर एयर पॉल्यूशन पर बात कर रहे हैं। इस दौरान इलाके का एक्यूआई 396 है। वीडियो में राहुल और मॉडरेटर के बीच उत्तर भारत के प्रदूषण पर चर्चा हो रही है। उन्होंने लिखा, 'हमारे बीच सबसे गरीब लोग सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, जो अपने आस-पास की जहरीली हवा से बच नहीं पाते। परिवार स्वच्छ हवा के लिए तरस रहे हैं, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं और लाखों लोगों की जिंदगी खत्म हो रही हैं। पर्यटन घट रहा है और हमारी वैश्विक प्रतिष्ठा गिर रही है।
राहुल और मॉडरेटर के बीच बातचीत -
राहुल- दिल्ली में प्रदूषण के क्या कॉम्पोनेंट्स हैं। कई लोग कहते हैं कि पराली जलाना, पटाखे जलाना इसके कारण हैं। लेकिन कोई एक चीज नहीं हो सकती है।
मॉडरेटर- ये केवल दिल्ली, उत्तर भारत ही नहीं पूरे भारत के परेशानी है। दिल्ली-NCR की बात करें तो इसके लिए दो तरह के सोर्स जिम्मेदार हैं। पहला एपिसोडिक सोर्स इसमें पटाके जलाना, पराली जलाना शामिल है। दूसरा पेरेनिनल सोर्स है, इसमें 365 दिनों तक प्रदूषण करने वाले सोर्स शामिल हैं। दिल्ली के एयर पॉल्यूशन का 50 फीसदी जिम्मेदार व्हीकल से होने वाला पॉल्यूशन है। इसमें भी प्राइवेट व्हीकल का नंबर ज्यादा है। कंस्ट्रक्शन पॉल्यूशन, रोड डस्ट का 30 परसेंट है। लेकिन लोग केवल एपिसोडिक सोर्स की बात करते हैं।
राहुल गांधी- इसका सॉल्यूशन क्या है ?
मॉडरेटर - अगर हमे पॉल्यूशन के सोर्स पता हैं। व्हीकल पॉल्यूशन 50 परसेंट है और साल भर है तो पॉलिटिकल विल हो तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर काम सकते हैं।
राहुल- इसे सही करने में कितना खर्च होगा ?
मॉडरेटर - अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए पैसा है, रोड कंस्ट्रक्शन के लिए पैसा है। एक महीने पहले बनी सड़क उखड़ जाता है, तो कहीं न कहीं सरकार की लापरवाही है। पॉल्यूशन के लिए थर्मल प्लांट भी जिम्मेदार हैं। दिल्ली में हर तीसरे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत है। दिल्ली के लोगों की लाइफ 10-12 साल कम हो रही है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है।
राहुल- बीता एक हफ्ता बहुत मुश्किल भरा रहा है। आंखों में जलन की शिकायत रही। डेमेज पूरे साल रहता है, लेकिन इन महीनों (नवंबर से जनवरी) तक ज्यादा दिखता है। मैं अपनी मां से कहता हूं इन महीनों में वे यहां से चली जाएं।
मॉडरेटर - हम लोग पूरे साल डेमेज झेलते हैं। इन दिनों एक्यूआई पीक पर होता है। यूं समझें कि पूरे साल हम 200 एक्यूआई में रहते हैं और इन दिनों ये बढ़ जाता है, 900,1500, 1700 तक चला जाता है। हम पूरे साल टॉक्सिक एयर में ब्रीथ कर रहे हैं।