सुप्रीम कोर्ट में आपसी सहमति से एक वैवाहिक रिश्ता समाप्त हो गया है, जिसे कोर्ट ने 'दुर्लभ समझौता' बताया है. कोर्ट ने इस दौरान पत्नी के एक कदम की खुलकर तारीफ की है, जिसने इस मामले को बेहद खास बना दिया. दरअसल, यह पूरा केस एक विवाहित जोड़े से जुड़ा है, जिन्होंने विवाह के कुछ समय बाद मनमुटाव होने के कारण अलग रहना शुरू कर दिया था.
बताया जाता है कि इसके बाद दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की, जिसमें महिला वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट में मौजूद थीं. महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला और उनके पति आपसी सहमति से अपने वैवाहिक संबंध को समाप्त करना चाहते हैं.
सास द्वारा उपहार में दी गई चूड़ियां वापस लौटाईं
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महिला के जिस कदम की सराहना की, वह था उनकी सास द्वारा उपहार में दी गई सोने की चूड़ियों को वापस लौटा देना.
कोर्ट ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
"यह एक बहुत अच्छा कदम है, क्योंकि पत्नी द्वारा किसी भी प्रकार का आर्थिक दावा नहीं किया गया था."
आमतौर पर, तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता या स्त्रीधन को लेकर कानूनी लड़ाई होती है, लेकिन इस महिला का त्याग और सम्मान की भावना देखकर कोर्ट भी प्रभावित हुआ.
गुजारा भत्ता या अन्य आर्थिक मुआवजा नहीं मांगा
जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. शुरुआत में महिला के वकील ने पीठ को सूचित किया कि महिला ने अपने पति से किसी प्रकार का गुजारा भत्ता या अन्य आर्थिक मुआवजा नहीं मांगा है.
जब कोर्ट को बताया गया कि केवल चूड़ियां ही वापस करनी बाकी हैं, तो पीठ ने शुरू में यह अनुमान लगाया कि शायद पत्नी स्त्रीधन (जो महिलाओं का निजी धन होता है) वापस करने को कह रही है. हालांकि, पत्नी के वकील ने तुरंत स्पष्ट किया कि विवाह के समय उन्हें (पत्नी को) उपहार में मिले आभूषण वह स्वयं लौटा रही हैं. यह सुनकर कोर्ट ने महिला के इस निर्णय की भूरी-भूरी प्रशंसा की.
"अतीत को भूल जाइए और सुखी जीवन जिएं"
इसके बाद कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में इस समझौते को दुर्लभ बताया:
"यह उन दुर्लभ समझौतों में से एक है जहां कुछ भी नहीं मांगा गया है. इसके विपरीत, पत्नी ने सोने की चूड़ियां सौंप दी हैं. हम इस तरह के नेक काम की सराहना करते हैं, जो आजकल बहुत कम देखने को मिलता है."
कोर्ट ने महिला की इस उदारता और समझदारी की प्रशंसा करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं. पीठ ने महिला से भावनात्मक रूप से कहा कि "अतीत को भूल जाइए और सुखी जीवन जिएं."
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम आदेश पारित करते हुए दोनों पक्षों के वैवाहिक रिश्ते को समाप्त कर दिया. साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर दोनों पक्षों के बीच कोई अन्य कानूनी कार्यवाही (जैसे घरेलू हिंसा या दहेज का मामला) चल रही है, तो वह भी इस समझौते के साथ निरस्त मानी जाएगी. यह फैसला दिखाता है कि सम्मान और आपसी समझदारी के साथ तलाक जैसे कठिन रिश्ते को भी समाप्त किया जा सकता है.