केंद्र सरकार ने रेलवे परीक्षाओं में धार्मिक प्रतीकों को लेकर बड़ा और संवेदनशील फैसला लिया है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री वी सोमन्ना ने रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) को निर्देश दिए हैं कि अब परीक्षाओं के दौरान उम्मीदवारों को मंगलसूत्र, जनेऊ और कान की बालियां जैसे धार्मिक आभूषण उतारने के लिए मजबूर न किया जाए। इस निर्णय को उम्मीदवारों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है, जो लंबे समय से विवाद और असहमति का कारण बना हुआ था।
भाजपा सांसद ने उठाया था मुद्दा
भाजपा सांसद बृजेश चौटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस मामले को सार्वजनिक किया था। उन्होंने रेलवे की पैरामेडिकल परीक्षा के एडमिट कार्ड की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि परीक्षार्थी धार्मिक प्रतीक जैसे मंगलसूत्र या जनेऊ पहनकर परीक्षा हॉल में प्रवेश नहीं कर सकते।
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद यह मामला तेजी से राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का विषय बन गया। सांसद चौटा ने बताया कि केंद्रीय मंत्री सोमन्ना ने इस संबंध में तत्काल एक्शन लेते हुए RRB अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कोई भी छात्र या छात्रा अपनी धार्मिक पहचान से जुड़ी वस्तु को उतारने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
कर्नाटक सरकार ने भी दर्ज की आपत्ति
इस मुद्दे पर सिर्फ केंद्र नहीं, बल्कि कर्नाटक राज्य सरकार ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने एक बयान में कहा कि “मंगलसूत्र और जनेऊ धार्मिक प्रतीक हैं, इनकी जांच की जा सकती है, लेकिन उन्हें उतारने को कहना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।”
उन्होंने कहा कि परीक्षा में सुरक्षा के नाम पर किसी की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। शिवकुमार का यह बयान समाज के कई वर्गों में गूंजा और धार्मिक समुदायों से भी समर्थन मिला।
बीदर और शिवमोगा से सामने आए विवाद
इस मुद्दे की शुरुआत कर्नाटक के बीदर जिले से हुई थी, जहां 17 अप्रैल को एक छात्र को सिर्फ इसलिए परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया क्योंकि उसने जनेऊ उतारने से इनकार कर दिया था। यह घटना 19 अप्रैल को प्रकाश में आई, जिसके बाद इसे लेकर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित कॉलेज – साई स्पूर्थी पीयू कॉलेज – के प्रिंसिपल डॉ. चंद्रशेखर बिरादर और स्टाफ मेंबर सतीश पवार को निलंबित कर दिया गया। यह कदम राज्य प्रशासन द्वारा छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के प्रयास के रूप में देखा गया।
इसके अलावा शिवमोगा जिले में CET परीक्षा के दौरान भी ऐसा ही मामला सामने आया, जहां तीन छात्रों को जनेऊ उतारने के लिए कहा गया। इस घटना के बाद कर्नाटक ब्राह्मण महासभा ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई थी।
परीक्षा केंद्र की दलीलें और स्पष्टीकरण
जब परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों से इस बारे में पूछताछ की गई, तो उनका कहना था कि उन्होंने किसी को भी जनेऊ या मंगलसूत्र उतारने के लिए मजबूर नहीं किया। कर्मचारियों के अनुसार, उन्होंने सिर्फ हाथ की कलाई पर बांधे गए पवित्र धागों (रक्षासूत्र आदि) को हटाने के लिए कहा था, जो मेटल डिटेक्टर में रुकावट बन सकते हैं।
उनका तर्क था कि परीक्षा नियमों के मुताबिक यह सब सुरक्षा जांच के हिस्से के रूप में किया गया, लेकिन अब नए निर्देश के बाद इसे लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है।
धार्मिक स्वतंत्रता बनाम परीक्षा नियम
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया: क्या परीक्षा की निष्पक्षता और सुरक्षा नियम धार्मिक आस्थाओं पर भारी पड़ सकते हैं? इसका जवाब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है – नहीं।
केंद्रीय मंत्री सोमन्ना का यह निर्णय भारतीय संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर किसी की धार्मिक पहचान पर सवाल न उठे।
निष्कर्ष: संवेदनशील फैसले की सराहना
रेलवे भर्ती बोर्ड के इस फैसले की देशभर में सराहना हो रही है। यह एक ऐसा कदम है जो न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है, बल्कि समावेशी और संवेदनशील प्रशासन की ओर भी इशारा करता है।
अब उम्मीदवार निर्भय होकर परीक्षा दे सकेंगे, बिना यह डर के कि उन्हें अपनी आस्था का त्याग करना पड़ेगा। यह फैसला लाखों विद्यार्थियों के मन में सरकार के प्रति भरोसे को मजबूत करेगा।