बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल जैसे-जैसे तेज़ हो रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी उफान पर हैं। चुनावी माहौल में अब शिक्षा और योग्यता भी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ गया है। जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने राज्य के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीके का कहना है कि सम्राट चौधरी ने अपने चुनावी हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता को लेकर गलत जानकारी दी है, और यह तक स्पष्ट नहीं है कि वे 10वीं पास भी हैं या नहीं।
पीके का सवाल – “एफिडेविट में लिखा ही नहीं कि 10वीं कब पास की”
प्रशांत किशोर ने अपने हालिया बयान में कहा कि जब उन्होंने सम्राट चौधरी से पूछा कि उन्होंने 10वीं की परीक्षा कब पास की, तो जवाब मिला कि यह बात उनके हलफनामे में दर्ज है। लेकिन जब पीके ने उस एफिडेविट को पढ़ा, तो उसमें 10वीं पास करने की तारीख या वर्ष का कोई ज़िक्र नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि सम्राट चौधरी ने कामराज यूनिवर्सिटी से PFC कोर्स करने का दावा किया है, जो आम तौर पर तमिल भाषी छात्रों के लिए होता है। पीके ने तंज कसते हुए पूछा, “क्या सम्राट चौधरी तमिल भाषा बोल सकते हैं? अगर नहीं, तो यह कोर्स उन्होंने कैसे किया?”
फर्जी डिग्री का आरोप और बढ़ा विवाद
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में यह तक कह दिया कि सम्राट चौधरी के पास “फर्जी एफिडेविट” है। उनका कहना है कि अगर डिप्टी सीएम ने 10वीं या 12वीं पास नहीं की, और तमिल भी नहीं जानते, तो PFC डिग्री की वैधता पर गंभीर सवाल उठते हैं। “इसका मतलब साफ है कि डिग्री खरीदी गई है, हासिल नहीं की गई,” पीके ने कहा।
पुराने केस का भी ज़िक्र – ‘नरसंहार मामले’ पर उठे सवाल
पीके ने सिर्फ डिग्री ही नहीं, बल्कि सम्राट चौधरी के पुराने कानूनी मामलों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 के नरसंहार केस में सम्राट चौधरी का नाम आया था। अब सवाल यह है कि उस केस की स्थिति क्या है? प्रशांत किशोर का दावा है कि सम्राट ने उस समय खुद को नाबालिग दिखाकर कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश की थी।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी में पीके
प्रशांत किशोर ने साफ कहा है कि वे इस पूरे प्रकरण को लेकर कानूनी रास्ता अपनाएंगे। “हम सम्राट चौधरी के एफिडेविट को कोर्ट में चुनौती देंगे। जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनका प्रतिनिधि सच बोल रहा है या नहीं,” उन्होंने कहा। पीके ने यह भी जोड़ा कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि पारदर्शिता और नैतिकता का है।
सम्राट चौधरी की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
वहीं, सम्राट चौधरी की ओर से अब तक इस पूरे विवाद पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है। बीजेपी खेमे में भी इस बयानबाज़ी को लेकर हलचल है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर के आरोपों को “राजनीतिक स्टंट” के रूप में देखा जा रहा है। बिहार की सियासत में जहां एक तरफ जातीय समीकरण और विकास के वादे हावी रहते हैं, वहीं अब शिक्षा और ईमानदारी भी चुनावी मुद्दा बनती दिख रही है। प्रशांत किशोर के इन आरोपों ने एनडीए सरकार की मुश्किलें जरूर बढ़ा दी हैं, और आने वाले दिनों में यह विवाद और तूल पकड़ सकता है।