श्रीनगर/जम्मू: देश की सबसे पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक अमरनाथ यात्रा इस वर्ष सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजामों के साथ शुरू होने जा रही है। जहां एक ओर यात्रा की अवधि घटाकर 38 दिन कर दी गई है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा इंतजामों को पिछली बार से कहीं ज्यादा मजबूत किया गया है। 3 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होने वाली इस यात्रा के लिए CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के जवान चौकस रहेंगे।
सुरक्षा जिम्मेदारी तीन स्तरीय बलों के पास
सूत्रों के मुताबिक, इस बार यात्रा की पूरी जिम्मेदारी तीन स्तरीय सुरक्षा बलों—सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के कंधों पर होगी। 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी, जो यात्रा मार्ग पर पूरी तरह चौकसी बरतेंगी। इसके अलावा, सुरक्षा के लिए विशेष रूप से ड्रोन, बम डिस्पोजल स्क्वाड, डॉग स्क्वाड, क्विक रिएक्शन टीम (QRT), और पीसीआर वैन भी हर महत्वपूर्ण स्थान पर मुस्तैद रहेंगी।
हर रूट की डिजिटल मैपिंग, हर गतिविधि पर नजर
इस बार अमरनाथ यात्रा के सभी रूटों की डिजिटल मैपिंग की गई है, ताकि हर गतिविधि को बारीकी से ट्रैक किया जा सके। नेशनल हाईवे और संबंधित मार्गों पर यात्रा के दौरान ट्रैफिक ब्लॉक किया जाएगा, ताकि कोई भी असामाजिक तत्व या बाहरी अवरोध यात्रा में बाधा न डाल सके।
साथ ही, हर अहम प्वाइंट पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और CCTV सिस्टम भी लगाया जाएगा। इसके जरिये रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी और सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत सूचना दी जा सकेगी।
जैमर से फोन सिग्नल बंद, डिजिटल पहचान पत्र अनिवार्य
इस वर्ष पहली बार यात्रा के सभी रूटों पर मोबाइल नेटवर्क जैमर लगाए जाएंगे, ताकि किसी भी संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न हो सके। इससे आतंकी नेटवर्क की संचार व्यवस्था भी बाधित होगी।
यात्रियों के लिए इस बार डिजिटल पहचान पत्र (ID कार्ड) अनिवार्य किया गया है। यही नियम पोनी राइडर्स यानी खच्चर चालक और घोड़े वाले व्यक्तियों पर भी लागू होगा। जिनके पास डिजिटल ID नहीं होगी, उन्हें यात्रा में शामिल नहीं किया जाएगा।
हेलीकॉप्टर निगरानी और आपातकालीन सेवाएं भी सक्रिय
सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए इस बार हेलीकॉप्टर से निगरानी का इंतजाम किया गया है। हेलीकॉप्टर के जरिए यात्रा रूट पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी की जाएगी और आपात स्थिति में तत्काल राहत पहुंचाई जा सकेगी।
इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाएं, मोबाइल अस्पताल और ऐंबुलेंस वाहन भी लगातार तैनात रहेंगे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी स्थिति में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी न हो।
भीड़ नियंत्रण के लिए बैच-वार प्रवेश प्रणाली
पिछले वर्षों की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं का प्रवेश बैच-वार किया जाएगा। यानी हर दिन सीमित संख्या में यात्री यात्रा शुरू कर सकेंगे। इससे सुरक्षा बलों को भीड़ नियंत्रण में सहायता मिलेगी और किसी भी अनहोनी से बचा जा सकेगा।
अवधि 52 दिन से घटाकर 38 दिन, क्या है वजह?
इस बार यात्रा की अवधि को 52 दिनों से घटाकर 38 दिन किया गया है। इस पर प्रशासन का कहना है कि ऐसा निर्णय सुरक्षा कारणों, मौसम की अनिश्चितता और संवेदनशील परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले वर्षों में आतंकी गतिविधियों और भूस्खलन जैसी घटनाओं के चलते संक्षिप्त लेकिन अधिक संरक्षित यात्रा ही व्यवहारिक विकल्प है।
सरकार की अपील: नियमों का पालन करें श्रद्धालु
यात्रा को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे सभी सुरक्षा नियमों का पालन करें, समय पर रजिस्ट्रेशन कराएं और अपने साथ डिजिटल ID व यात्रा परमिट जरूर रखें।
निष्कर्ष: धार्मिक आस्था के साथ तकनीक और सुरक्षा का अभूतपूर्व मेल
अमरनाथ यात्रा 2025 केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह तकनीकी, प्रशासनिक और सुरक्षा प्रबंधन का एक उदाहरण बनने जा रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरकार और सुरक्षा बल पूरी तरह सतर्क हैं।