22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की आग अभी तक देश में शांत नहीं हुई है। एक ओर पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रही गोलीबारी और घुसपैठ की खबरें चिंता बढ़ा रही हैं, वहीं दूसरी ओर इस हमले में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों का दुख लोगों को झकझोर रहा है। इन्हीं परिवारों में से एक है लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का परिवार, जिनकी शहादत ने पूरे देश को गर्व और गम से भर दिया है।
विनय नरवाल हरियाणा के करनाल जिले के निवासी थे और देश की सेवा करते हुए कश्मीर में शहीद हो गए। उनकी पत्नी हिमांशी ने हमले के बाद जो बयान दिया, वह न सिर्फ इंसानियत का प्रतीक है, बल्कि वर्तमान समय में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच एक अहम संदेश भी देता है।
"हमें शांति चाहिए, नफरत नहीं" — हिमांशी नरवाल
शादी के कुछ ही समय बाद हिमांशी और विनय हनीमून के लिए कश्मीर गए थे। लेकिन यह यात्रा एक भयावह मोड़ ले लेगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। आतंकी हमले में विनय की जान चली गई, और हिमांशी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।
1 मई को विनय नरवाल का जन्मदिन था। इस दिन करनाल में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें पूरा परिवार शामिल हुआ। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए हिमांशी ने कहा,
"हम केवल शांति चाहते हैं, हमें न्याय चाहिए। हम नहीं चाहते कि किसी और परिवार को ऐसा दर्द झेलना पड़े।"
उन्होंने खास तौर पर देशवासियों से अपील की कि वे इस हमले को धर्म और जाति के चश्मे से न देखें।
"मुसलमानों और कश्मीरियों से नफरत न करें, सजा उन्हें दें जिन्होंने यह हमला किया है।"
हिमांशी का यह संदेश आज के समय में नफरत के माहौल में एक रोशनी की किरण जैसा है।
मुस्लिम समुदाय को लेकर बढ़ती गलतफहमियों पर चिंता
हमले के बाद देश के कई हिस्सों से रिपोर्ट आई कि कुछ लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के प्रति गलत नजरिया अपना रहे हैं। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट्स और लोगों के बीच बढ़ती दरार चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में हिमांशी की यह अपील बेहद जरूरी बन जाती है।
उन्होंने कहा,
"हमें उन आतंकियों से नफरत करनी चाहिए जिन्होंने मासूम लोगों की जान ली, न कि उस धर्म या समुदाय से जो इस अपराध में शामिल ही नहीं है।"
यह समझदारी और भावनात्मक परिपक्वता ही है जो आज हमें एकजुट रख सकती है।
परिवार की भावुकता और रक्तदान की अपील
विनय नरवाल के जन्मदिन पर आयोजित रक्तदान शिविर एक श्रद्धांजलि थी, जिसे उनके परिवार और दोस्तों ने बेहद भावुक माहौल में आयोजित किया। हिमांशी और उनके परिजन विनय की याद में भावुक हो उठे।
"हम नहीं चाहते कि किसी के साथ भी ऐसा हो, जैसा हमारे साथ हुआ है,"
हिमांशी ने कहा।
उन्होंने युवाओं और देशवासियों से अपील की कि वे रक्तदान जैसे नेक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।
"हम सभी से अपील करते हैं कि वे ब्लड डोनेशन के लिए आगे आएं, यह किसी की जान बचा सकता है," उन्होंने कहा।
न्याय की उम्मीद और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
हिमांशी ने इस दौरान यह भी कहा कि उन्हें भारत सरकार और सेना पर पूरा भरोसा है, और उन्हें उम्मीद है कि इस हमले के जिम्मेदार लोगों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी।
"हम चाहते हैं कि आतंकियों को ऐसी सजा मिले, जिससे कोई और हमारे देश की तरफ आंख उठाकर भी न देख सके," उन्होंने कहा।
निष्कर्ष: नफरत नहीं, न्याय की जरूरत है
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत देश के लिए एक गर्व का क्षण है, लेकिन उनका जाना उनके परिवार के लिए एक गहरा घाव है। उनकी पत्नी हिमांशी का शांतिपूर्ण और विवेकपूर्ण संदेश इस समय पूरे देश को एकजुट करने का काम कर सकता है।
जहां एक तरफ देश गुस्से में है, वहीं हमें यह समझने की जरूरत है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। हमें न्याय की लड़ाई लड़नी है, लेकिन नफरत की नहीं।