ईद उल-अजहा 2025: भारत समेत दुनियाभर में आज इस्लामिक त्योहार ईद उल-अजहा बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे आमतौर पर बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल जुल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह-सुबह मस्जिदों में जाकर खास नमाज अदा करते हैं और उसके बाद एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं।
ईद उल-अजहा का धार्मिक महत्व
ईद उल-अजहा का धार्मिक महत्व इस्लाम की कहानी से जुड़ा हुआ है जिसमें पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने की तैयारी की थी, लेकिन अल्लाह ने अंत में एक मेमना भेजकर उस बच्चे की जगह कुर्बानी स्वीकार की थी। इसलिए इस त्योहार पर कुरबानी देना जरूरी होता है। मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद के दिन जानवर की कुर्बानी करते हैं और उसका मांस गरीबों, जरूरतमंदों और अपने परिवार के बीच बांटते हैं। यह त्याग, सेवा और एकजुटता का प्रतीक है।
देश भर में ईद उल-अजहा की तैयारियां
2025 की बकरीद पर भारत के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समाज के लोग बड़े उत्साह के साथ इस त्योहार को मना रहे हैं। सुबह-सुबह मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लोग बड़ी संख्या में जुटे हैं। देश के कई शहरों से बकरीद की नमाज के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें लोगों की श्रद्धा और खुशी साफ नजर आ रही है।
दिल्ली की जामा मस्जिद में बकरीद की रौनक
दिल्ली की जामा मस्जिद, जो देश की सबसे प्रमुख और पुरानी मस्जिदों में से एक है, पर आज सुबह भारी भीड़ उमड़ी। हजारों मुस्लिम श्रद्धालु ईद उल-अजहा की नमाज अदा करने के लिए यहां इकट्ठा हुए। सोशल मीडिया पर जामा मस्जिद के बाहर और अंदर की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं, जिनमें लोगों की एकजुटता और उल्लास देखा जा सकता है।
इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। मस्जिद के बाहर पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात किया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। सुरक्षा के इन इंतजामों के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ और वे पूरी श्रद्धा के साथ नमाज अदा करते नजर आए।
उत्तर प्रदेश और बिहार में बकरीद की धूम
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हजरत मुबारक खां शहीद ईदगाह में बड़ी संख्या में लोग ईद उल-अजहा की नमाज अदा कर रहे हैं। यहां भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है ताकि त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके।
इसी प्रकार बिहार के पटना में गांधी मैदान में भी आज मुस्लिम समुदाय ने जमकर नमाज अदा की। पटना के गांधी मैदान को भी सजाया गया था और सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। यहां भी लोगों ने एक-दूसरे को बकरीद की बधाई दी और त्योहार का जश्न मनाया।
बकरीद की खास रस्में और परंपराएं
ईद उल-अजहा के दिन मुस्लिम परिवार नई व साफ-सुथरी कपड़े पहनते हैं। सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर मस्जिद पहुंचना इस दिन की खास परंपरा है। नमाज के बाद परिवार, रिश्तेदार और मित्र मिलकर एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं।
कुर्बानी की रस्म भी इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। जानवर जैसे बकरी, भेड़, गाय या ऊंट की कुर्बानी की जाती है। मांस का वितरण तीन हिस्सों में होता है — एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए और तीसरा हिस्सा मित्रों और रिश्तेदारों को दिया जाता है।
समाज में बकरीद का सामाजिक महत्व
ईद उल-अजहा केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि एक सामाजिक और मानवता का प्रतीक भी है। इस त्योहार पर लोगों के बीच भाईचारा, एकजुटता और सहानुभूति का संदेश जाता है। मांस बांटने की परंपरा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद का माध्यम बनती है, जिससे समाज में सहयोग और प्रेम बढ़ता है।
सुरक्षा और शांति के बीच उत्सव
2025 की बकरीद पर भारत के कई हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी ताकि त्योहार सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके। विशेषकर बड़े मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास पुलिस तैनात रही। यह इंतजाम आतंकवाद, दंगा-फसाद या किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए जरूरी थे।
सभी जगहों पर पुलिस और प्रशासन के सहयोग से लोगों ने शांति से बकरीद मनाई और इसका धार्मिक तथा सामाजिक महत्व पूरे जोश के साथ महसूस किया।
समापन
ईद उल-अजहा 2025 ने एक बार फिर भारत के मुस्लिम समुदाय में उत्साह, श्रद्धा और भाईचारे की भावना को जगाया है। पूरे देश में यह त्योहार भव्यता से मनाया जा रहा है।
मस्जिदों में नमाज का सिलसिला जारी है, कुर्बानी की परंपराएं निभाई जा रही हैं और लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद दे रहे हैं। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक सद्भावना के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आने वाले वर्षों में भी इस्लामी त्योहारों का यह रंगीला उत्सव पूरे देश में इसी तरह हर्षोल्लास और एकता के साथ मनाया जाए, ऐसी कामना हर दिल में है। ईद उल-अजहा मुबारक!