ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ और MyGov के पूर्व डायरेक्टर अखिलेश मिश्रा ने वर्ष 2025 को भारत की विकास यात्रा में एक युगांतकारी मोड़ बताया है। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस वर्ष न केवल अपनी आर्थिक संरचना को नया रूप दिया है, बल्कि दशकों पुरानी नीतिगत बाधाओं को भी पीछे छोड़ दिया है।
मिश्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया कि 2025 के सुधार कोई मामूली बदलाव नहीं हैं, बल्कि ये "अपरिवर्तनीय" (Irreversible) परिवर्तन हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की प्रगति का आधार बनेंगे।
जीएसटी 2.0: जटिलता से विश्वास की ओर
अखिलेश मिश्रा ने GST 2.0 को एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि भारत अब एक जटिल टैक्स ढांचे से निकलकर 'कॉन्फिडेंस बेस्ड सिस्टम' (विश्वास आधारित व्यवस्था) में प्रवेश कर चुका है। इस नई व्यवस्था में मुख्य रूप से दो ही स्लैब (5% और 18%) रखे गए हैं।
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आवश्यक वस्तुएं: इन पर टैक्स का बोझ शून्य कर दिया गया है।
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लक्जरी और हानिकारक वस्तुएं: इन पर प्रोग्रेसिव टैक्सेशन लागू है। वित्त मंत्रालय के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि इन सुधारों से न केवल आम आदमी की जेब पर बोझ कम हुआ है, बल्कि टैक्स कंप्लायंस और खपत (Consumption) में भी भारी रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है।
मिडल क्लास को बड़ी राहत: इनकम टैक्स रिफॉर्म
2025 के बजट और सुधारों ने मध्यम वर्ग और 'महत्वाकांक्षी वर्ग' (Aspiring Class) को एक नई ऊर्जा दी है। मिश्रा ने रेखांकित किया कि अब 12 लाख रुपए तक (सैलरीड क्लास के लिए 12.75 लाख रुपए तक) की वार्षिक आय पर शून्य टैक्स है। इससे लोगों की 'डिस्पोजेबल इनकम' (हाथ में खर्च करने योग्य पैसा) बढ़ी है, जिससे बाजार में मांग और विकास को गति मिली है।
ऊर्जा और लेबर सेक्टर में क्रांतिकारी कदम
मिश्रा ने 'शांति विधेयक' का विशेष उल्लेख किया, जिसने भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के द्वार निजी भागीदारी के लिए खोल दिए हैं। इसके साथ ही:
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लेबर कोड्स: 29 जटिल श्रम कानूनों को समाहित कर 4 सरल लेबर कोड्स बनाए गए।
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MSME रिफॉर्म: एमएसएमई के वर्गीकरण को बदला गया ताकि छोटे उद्योग बड़े होने से न डरें।
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आरबीआई की पहल: बैंकिंग और वित्त क्षेत्र को गति देने के लिए लगभग 9,500 पुराने और अप्रचलित नियमों को समाप्त कर दिया गया।
ग्रामीण उत्थान: विकसित भारत जी-राम-जी बिल
कल्याणकारी योजनाओं के मोर्चे पर, मिश्रा ने मनरेगा (MGNREGA) की जगह लाए गए 'विकसित भारत जी-राम-जी बिल' और प्रधानमंत्री धनधान्य योजना को गेम-चेंजर बताया। इन योजनाओं का उद्देश्य केवल रोजगार देना नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी संपत्ति और आर्थिक सशक्तिकरण का निर्माण करना है। साथ ही, इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI की अनुमति ने वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को एक नई गहराई दी है।
निष्कर्ष
अखिलेश मिश्रा के विश्लेषण का सार यह है कि 2025 ने दुनिया के सामने यह साबित कर दिया है कि एक जीवंत लोकतंत्र में भी बिना किसी सामाजिक अशांति के बड़े और कड़े संरचनात्मक सुधार किए जा सकते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि 2025 आधार वर्ष है, तो भारत की भविष्य की उपलब्धियां और भी विशाल होंगी। यह वर्ष भारतीय राजनीति में "काम की राजनीति" के एक नए मानक के रूप में याद रखा जाएगा।