इन दिनों सोशल मीडिया पर किसी भी बयान को काट-छांट कर गलत संदर्भ में पेश करना आम बात हो गई है। इसका असर केवल सामाजिक माहौल पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श पर भी गंभीर रूप से पड़ता है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान को लेकर, जिसे गलत तरीके से वायरल किया जा रहा है। India TV फैक्ट चेक में हम आपको बताते हैं इस वायरल दावे की सच्चाई।
क्या हो रहा है वायरल?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो क्लिप तेज़ी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने एक सभा में कहा, "हिंदू धर्म हमारा नहीं है।" इस क्लिप की अवधि लगभग 14 सेकंड की है और इसमें राहुल के बयान को पूरी तरह से संदर्भ से हटाकर दिखाया गया है। साथ ही, इस पोस्ट में यह भी लिखा गया है कि राहुल ने बाबर के वंशज होने का दावा किया और गांधी सरनेम को भी फर्जी बताया।
क्या है वायरल पोस्ट की सच्चाई?
India TV फैक्ट चेक टीम ने जब इस दावे की पड़ताल की तो पता चला कि वायरल हो रही क्लिप को भ्रामक तरीके से एडिट किया गया है। हमने संबंधित वीडियो को ढूंढने के लिए Google कीवर्ड सर्च और YouTube सर्च किया। इस दौरान हमें कांग्रेस के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड की गई 38.38 मिनट लंबी पूरी वीडियो मिली, जिसमें राहुल गांधी का पूरा भाषण मौजूद है।
इस वीडियो के 29.53 मिनट पर राहुल गांधी वह बात कह रहे हैं जिसे क्लिप में काटकर दिखाया गया है। उन्होंने असल में यह कहा:
"टीकाराम जूली हमारे सीएलपी हैं राजस्थान के, दलित हैं, मंदिर गए थे। उनके मंदिर में जाने के बाद बीजेपी के नेताओं ने मंदिर को साफ करवाया, धुलवाया। और वो अपने आपको हिन्दू कहते हैं। एक दलित व्यक्ति को मंदिर में जाने का अधिकार नहीं देते हैं और जब जाता है तो फिर मंदिर को धुलवाते हैं। ये हमारा धर्म नहीं है। हम भी अपने आपको हिन्दू कहलाते हैं, मगर ये हमारा धर्म नहीं है। हमारा धर्म वो है जो हर व्यक्ति का आदर करता है और हर व्यक्ति को रिस्पेक्ट देता है।"
इस बयान का मुख्य उद्देश्य दलितों के साथ हो रहे भेदभाव की आलोचना करना था, न कि हिंदू धर्म का अपमान करना।
निष्कर्ष:
फैक्ट चेक की पड़ताल में यह साफ हो गया है कि राहुल गांधी के बयान की क्लिप को तोड़-मरोड़कर वायरल किया गया है। असली वीडियो में उन्होंने सामाजिक समानता और सम्मान की बात की है, न कि किसी धर्म के खिलाफ बयान दिया है।
इस तरह की भ्रामक पोस्ट से जनता को गुमराह करने की कोशिश की जाती है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच जरूर करें।