सफला एकादशी का व्रत आज 26 दिसंबर को है. सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. यह अंग्रेजी कैलेंडर के दिसंबर या जनवरी माह में पड़ता है. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव एवं श्रीहरि की कृपा से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. इस बार सफला एकादशी के दिन सुकर्मा योग बना है, यह एक शुभ योग है. कहा जाता है कि आपको किसी भी शुभ कार्य में सफलता की चाह है तो उससे पूर्व सफला एकादशी का व्रत करें. पूजा के समय सफला एकादशी की कथा पढ़ें. आपको मनमुताबिक सफलता प्राप्त हो सकती है. जयपुर के ज्योतिष पंडित पवन भारद्वाज(मिश्रा) बता रहे हैं सफला एकादशी व्रत कथा के बारे में.
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम्
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धर्मो रक्षति रक्षितः पंचांग-26.12.2024
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण
मास - पौष _कृष्णपक्ष
वार - गुरुवार
तिथि - एकादशी 24:43:1
नक्षत्र स्वाति 18:08:38
योग सुकर्मा 22:22:24
करण बव 11:39:30
करण बालव 24:43:21
चन्द्र राशि - तुला
सूर्य राशि - धनु
आज विशेष सफला एकादशी व्रत
🍁 अग्रिम (आगामी) पर्वोत्सव 🍁
🔅 प्रदोष व्रत
. 28 दिसंबर 2024
(शनिवार)
🔅 देव पितृ सोमवती अमावस
. 30 दिसंबर 2024
(सोमवार)
यतो धर्मस्ततो जयः सफला एकादशी व्रत माहात्म्य -
पद्मपुराणमें पौषमास के कृष्णपक्ष की एकादशी के विषय में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण बोले-बडे-बडे यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है। इसलिए एकादशी-व्रत अवश्य करना चाहिए। पौषमास के कृष्णपक्ष में सफला नाम की एकादशी होती है। इस दिन भगवान नारायण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी कल्याण करने वाली है। एकादशी समस्त व्रतों में श्रेष्ठ है।
सफला एकादशी के दिन श्रीहरिके विभिन्न नाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए फलों के द्वारा उनका पूजन करें। धूप-दीप से देवदेवेश्वर श्रीहरिकी अर्चना करें। सफला एकादशी के दिन दीप-दान जरूर करें। रात को वैष्णवों के साथ नाम-संकीर्तन करते हुए जगना चाहिए। एकादशी का रात्रि में जागरण करने से जो फल प्राप्त होता है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने पर भी नहीं मिलता।
व्रत विधान के विषय में जैसा कि श्री कृष्ण कहते हैं दशमी की तिथि को शुद्ध और सात्विक आहार एक समय लेना चाहिए. इस दिन आचरण भी सात्विक होना चाहिए. व्रत करने वाले को भोग विलास एवं काम की भावना को त्याग कर नारायण की छवि मन में बसाने हेतु प्रयत्न करना चाहिए. एकादशी तिथि के दिन प्रात: स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर माथे पर श्रीखंड चंदन अथवा गोपी चंदन लगाकर कमल अथवा वैजयन्ती फूल, फल, गंगा जल, पंचामृत, धूप, दीप, सहित लक्ष्मी नारायण की पूजा एवं आरती करें. संध्या काल में अगर चाहें तो दीप दान के पश्चात फलाहार कर सकते हैं। द्वादशी के दिन भगवान की पूजा के पश्चात कर्मकाण्डी ब्राह्मण को भोजन करवा कर जनेऊ एवं दक्षिणा देकर विदा करने के पश्चात भोजन करें।
जो भक्त इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत रखते हैं व रात्रि में जागरण एवं भजन कीर्तन करते हैं उन्हें श्रेष्ठ यज्ञों से जो पुण्य मिलता उससे कहीं बढ़कर फल की प्राप्ति होती है। व्रत में सिर्फ फलाहार, गौ का दूध ले सकता है, साबूदाना नहीं। सफला एकादशी का व्रत अपने नामानुसार मनोनुकूल फल प्रदान करने वाला है। भगवान श्री कृष्ण इस व्रत की बड़ी महिमा बताते हैं। इस एकादशी के व्रत से व्यक्तित को जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है और वह जीवन का सुख भोगकर मृत्यु पश्चात विष्णु लोक को प्राप्त होता है (ब्रम्हवैवर्त पुराण, पद्म पुराण). यह व्रत अति मंगलकारी और पुण्यदायी है (ब्रम्हवैवर्त पुराण, पद्म पुराण)।
जय जय श्री सीताराम👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)