Aaj Ka Panchang 24 December 2024: आज का पंचांग मुहूर्त हमारे हिन्दू धर्म में किसी भी विशेष कार्यक्रम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता हैं. आइये जानते हैं आज 24 दिसम्बर के पंचांग के जरिए आज की तिथि का हर एक शुभ मुहूर्त व अशुभ समय…
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम्
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धर्मो रक्षति रक्षितः पंचांग-24.12.2024
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:-1946
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण
मास - पौष _कृष्णपक्ष
वार - मंगलवार
तिथि _ नवमी 19:51:52
नक्षत्र हस्त 12:16:15
योग शोभन 20:52:28
करण गर 19:51:52
चन्द्र राशि - कन्या till 25:50
चन्द्र राशि - तुला from 25:50
सूर्य राशि - धनु
आज विशेष ! राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
🍁 अग्रिम (आगामी) पर्वोत्सव 🍁
🔅 सफला एकादशी व्रत
. 26 दिसंबर 2024
(गुरुवार)
🔅 प्रदोष व्रत
. 28 दिसंबर 2024
(शनिवार)
🔅 देव पितृ सोमवती अमावस
. 30 दिसंबर 2024
(सोमवार)
यतो धर्मस्ततो जयः
👉 दूसरों में दोष के दर्शन करना भी एक बड़ा पाप है :-
🔵 गाँव के बीच शिव मन्दिर में एक संन्यासी रहा करते थे। मंदिर के ठीक सामने ही एक वैश्या का मकान था।
🔴 वैश्या के यहाँ रात−दिन लोग आते−जाते रहते थे। यह देखकर संन्यासी मन ही मन कुड़−कुड़ाया करता। एक दिन वह अपने को नहीं रोक सका और उस वैश्या को बुला भेजा। उसके आते ही फटकारते हुए कहा—
🔵 ‟तुझे शर्म नहीं आती पापिन, दिन रात पाप करती रहती है। मरने पर तेरी क्या गति होगी?”
🔴 संन्यासी की बात सुनकर वेश्या को बड़ा दुःख हुआ। वह मन ही मन पश्चाताप करती भगवान से प्रार्थना करती अपने पाप कर्मों के लिए क्षमा याचना करती।
🔵 बेचारी कुछ जानती नहीं थी। बेबस उसे पेट के लिए वेश्यावृत्ति करनी पड़ती किन्तु दिन रात पश्चाताप और ईश्वर से क्षमा याचना करती रहती।
🔴 उस संन्यासी ने यह हिसाब लगाने के लिए कि उसके यहाँ कितने लोग आते हैं एक−एक पत्थर गिनकर रखने शुरू कर दिये। जब कोई आता एक पत्थर उठाकर रख देता। इस प्रकार पत्थरों का बड़ा भारी ढेर लग गया तो संन्यासी ने एक दिन फिर उस वेश्या को बुलाया और कहा
🔵 “पापिन? देख तेरे पापों का ढेर? यमराज के यहाँ तेरी क्या गति होगी, अब तो पाप छोड़।”
🔴 पत्थरों का ढेर देखकर अब तो वेश्या काँप गई और भगवान से क्षमा माँगते हुए रोने लगी। अपनी मुक्ति के लिए उसने वह पाप कर्म छोड़ दिया। कुछ जानती नहीं थी न किसी तरह से कमा सकती थी। कुछ दिनों में भूखी रहते हुए कष्ट झेलते हुए वह मर गई।
🔵 उधर वह संन्यासी भी उसी समय मरा। यमदूत उस संन्यासी को लेने आये और वेश्या को विष्णु दूत। तब संन्यासी ने बिगड़कर कहा “तुम कैसे भूलते हो। जानते नहीं हो मुझे विष्णु दूत लेने आये हैं और इस पापिन को यमदूत। मैंने कितनी तपस्या की है भजन किया है, जानते नहीं हो।”
🔴 यमदूत बोले “हम भूलते नहीं, सही है। वह वेश्या पापिन नहीं है पापी तुम हो। उसने तो अपने पाप का बोध होते ही पश्चाताप करके सच्चे हृदय से भगवान से क्षमा याचना करके अपने पाप धो डाले। अब वह मुक्ति की अधिकारिणी है और तुमने सारा जीवन दूसरे के पापों का हिसाब लगाने की पाप वृत्ति में, पाप भावना में जप तप छोड़ छाड़ दिए और पापों का अर्जन किया।
🔵 भगवान के यहाँ मनुष्य की भावना के अनुसार न्याय होता है। स्वयं दोष दर्शन करना एवं दूसरों को उपदेश देना , यह पाप है ।
विशेष ,,,,,,,,
स्वयं का मन मलिन होने लगता है जब परनिन्दा, छिद्रान्वेषण, दूसरे के पापों को देखना उनका हिसाब करना, दोष दृष्टि रखना इत्यादि अपने मन को मलीन बनाना ही तो है। संसार में पाप बहुत है, पर पुण्य भी क्या कम हैं। हम अपनी भावनाऐं पाप, घृणा और निन्दा में डुबाये रखने की अपेक्षा सद्विचारों में ही क्यों न लगावें?
हमेशा याद रखे " विचार ही मनुष्य की पूंजी है धन नहीं " क्योंकि ,,,,,,,, मनुष्य अपने विचारों का दास है और उसके अनुसार ही आचरण ( कर्म ) करता है !
जय जय श्री सीताराम
जय जय श्री ठाकुर जी की
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)