इतिहास का वो दिन जब दुनिया ने आतंक के सबसे बड़े चेहरे को मिटते देखा। ओसामा बिन लादेन, 9/11 जैसे भयावह हमले का मास्टरमाइंड, आखिरकार अमेरिका के हाथों मारा गया। वो भी पाकिस्तान के अंदर घुसकर, बिना किसी पूर्व सूचना के। आज हम आपको उस मिशन की कहानी बताएंगे, जिसने पूरी दुनिया को दंग कर दिया था।
कैसे बनी लादेन को मारने की योजना?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब ‘A Promised Land’ में इस ऑपरेशन की पूरी कहानी बयां की है। मई 2009 में ओबामा ने सलाहकारों को साफ हिदायत दी कि अब सबसे बड़ी प्राथमिकता ओसामा बिन लादेन को ढूंढना है। हर 30 दिन में रिपोर्ट उनके टेबल पर रखी जाती। आखिरकार दो साल की खुफिया निगरानी के बाद यह पता चला कि लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहा है। यह जगह इस्लामाबाद से महज 35 किलोमीटर दूर थी।
ओसामा का पता कैसे चला?
खुफिया एजेंसियों ने अबू अहमद अल-कुवैती नामक एक संदिग्ध को ट्रैक किया। वह अलकायदा के संदेशवाहक का काम करता था और सीधे लादेन से जुड़ा था। उसी की निगरानी से अमेरिकी एजेंसियों को लादेन की लोकेशन का पता चला। जिस घर में लादेन छिपा था, वहां कोई इंटरनेट या टेलीफोन नहीं था। यह जगह पूरी तरह अलग-थलग थी, ताकि कोई शक न हो।
कैसे घुसी अमेरिका की आर्मी पाकिस्तान में?
अमेरिका ने पाकिस्तान को बिना बताए अपने विशेष बलों (Navy SEAL Team 6) को हेलीकॉप्टर से एबटाबाद भेजा। रात का समय चुना गया ताकि किसी को भनक न लगे। हेलीकॉप्टर घर के परिसर में उतरे और टीम ने दीवार फांदकर घर में घुसपैठ की। ओबामा और उनके टॉप अफसर वाइट हाउस से लाइव ऑपरेशन देख रहे थे। इस मिशन का नाम था Operation Neptune Spear।
घर में घुसकर मारा लादेन को
टीम ने लादेन के ठिकाने पर हमला बोला। थोड़ी देर गोलीबारी चली और आखिरकार लादेन को सीने में दो गोलियां मार दी गईं। उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए उसके शव को मापा गया। ओबामा ने मजाक में कहा, "इतने बड़े मिशन पर गए और इंची टेप नहीं ले गए?" लेकिन बाद में डीएनए टेस्ट से उसकी पुष्टि हुई।
पूरी दुनिया में मची सनसनी
2 मई 2011 की इस कार्रवाई ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। आतंकवाद के सबसे बड़े चेहरे को उसी के गढ़ में घुसकर मारना एक बड़ा संदेश था। अमेरिका ने दिखा दिया कि आतंकवादी कहीं भी छुपे हों, उन्हें ढूंढकर खत्म किया जा सकता है। पाकिस्तान को इसकी जानकारी बाद में हुई, और इस ऑपरेशन पर सवाल भी उठे, लेकिन अमेरिका ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए दुनिया को बताया कि आतंक के खिलाफ उसकी जंग किसी सीमा में बंधी नहीं है।