भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार इन दिनों लोकतांत्रिक सहयोग और चुनावी पारदर्शिता को लेकर वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनका अगला कदम उन्हें स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में ले जा रहा है, जहां वे अंतरराष्ट्रीय आईडीईए (International Institute for Democracy and Electoral Assistance) द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन वैश्विक लोकतंत्र को मज़बूती देने, डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने और चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को लेकर गहन चर्चा का मंच बन रहा है।
क्या है अंतरराष्ट्रीय आईडीईए?
अंतरराष्ट्रीय आईडीईए एक वैश्विक संस्था है जो दुनिया भर में लोकतंत्र की मजबूती, स्वतंत्र चुनाव और पारदर्शी प्रशासन के लिए काम करती है। भारत लंबे समय से इस संस्था का एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है और समय-समय पर चुनावी प्रक्रिया, तकनीकी नवाचार और लोकतांत्रिक प्रशिक्षण में अपने अनुभव साझा करता आया है।
किनसे करेंगे मुलाकात?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, सम्मेलन की शुरुआत में आईडीईए के महासचिव केविन कैसास-जमोरा और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इन वार्ताओं का मकसद वैश्विक चुनावी चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाना और भारत की चुनावी कार्यप्रणाली को साझा करना है।
इसके अलावा ज्ञानेश कुमार लगभग 20 देशों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के साथ व्यक्तिगत द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेंगे। इनमें यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मैक्सिको, मंगोलिया और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश शामिल हैं। इन मुलाकातों के ज़रिए चुनावी प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान होगा।
भारत की ओर से महत्वपूर्ण योगदान
भारत, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, चुनावी नवाचारों और संस्थागत विकास के ज़रिए वैश्विक लोकतंत्र के लिए एक मिसाल बन चुका है। भारत ने पिछले वर्षों में चुनावी साक्षरता, ईवीएम प्रणाली, मतदाता सूची में सुधार, और आदर्श आचार संहिता के सख्त पालन जैसे कई बुनियादी सुधार किए हैं।
इसके अलावा भारत का आईआईआईडीईएम (India International Institute of Democracy and Election Management) अब वैश्विक चुनाव प्रबंधन में एक मान्यता प्राप्त केंद्र बनता जा रहा है।
स्टॉकहोम सम्मेलन का उद्देश्य
स्टॉकहोम में होने वाला यह सम्मेलन दुनिया भर के EMB (Election Management Bodies) प्रमुखों, नीति-निर्माताओं और संस्थागत नेताओं को एक मंच पर लाएगा, ताकि वे चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर चर्चा कर सकें।
सम्मेलन में निम्नलिखित मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
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दुष्प्रचार और फेक न्यूज से चुनावी प्रक्रिया की रक्षा
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डिजिटल व्यवधानों और साइबर हमलों से निपटना
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जलवायु परिवर्तन और आपदा स्थितियों में चुनाव कराना
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका और जोखिम
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चुनावी सुरक्षा और संवेदनशील इलाकों में मतदान की प्रक्रिया
किन अन्य नेताओं से होगी भेंट?
ज्ञानेश कुमार की कई अन्य वैश्विक नेताओं से भी बैठकें प्रस्तावित हैं:
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लीना रिक्किला तमांग – अंतरराष्ट्रीय आईडीईए की निदेशक (एशिया-प्रशांत)
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डॉ. एल्सी टी. न्घिकेम्बुआ – नामीबिया निर्वाचन आयोग की अध्यक्ष
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अब्दुल रहमान मोहम्मद इरफान – मॉरीशस के निर्वाचन आयुक्त
इन बैठकों में भारत के चुनावी अनुभव, प्रशिक्षण मॉडल और तकनीकी नवाचारों की जानकारी साझा की जाएगी।
निष्कर्ष
ज्ञानेश कुमार की यह पहल सिर्फ एक राजनयिक दौरा नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक लोकतंत्र में नेतृत्वकारी भूमिका का प्रतीक है। जहां एक ओर तकनीक और सोशल मीडिया लोकतंत्र को नई चुनौतियों में डाल रहे हैं, वहीं भारत जैसे देश अपने अनुभवों और लोकतांत्रिक मूल्यों से पूरी दुनिया को दिशा देने का काम कर रहे हैं। इस सम्मेलन से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब चुनावी पारदर्शिता और लोकतंत्र की वैश्विक धुरी बनने की ओर अग्रसर है।