भारतीय क्रिकेट को सोमवार की रात एक बड़ा झटका लगा जब खबर आई कि पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोषी का लंदन में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 75 वर्षीय दिलीप दोषी ने 23 जून 2025 को अपनी अंतिम सांस ली। भारत इस समय इंग्लैंड दौरे पर है, और ऐसे समय में एक दिग्गज भारतीय खिलाड़ी के निधन की खबर ने क्रिकेट जगत को गहरे शोक में डुबो दिया है।
क्रिकेट करियर छोटा लेकिन प्रभावशाली
दिलीप दोषी उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने 30 की उम्र के बाद अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और फिर भी अपनी गेंदबाज़ी से सबका ध्यान खींचा। उन्होंने 1979 में 32 वर्ष की उम्र में टेस्ट डेब्यू किया और 1983 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे। इस छोटे-से करियर में उन्होंने 33 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 114 विकेट अपने नाम किए।
उनकी गेंदबाज़ी की सबसे खास बात थी उनकी लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स स्पिन, जो उस दौर में भारतीय गेंदबाज़ी की पहचान बन चुकी थी। उन्होंने 6 बार टेस्ट में 5 विकेट लेने का कारनामा किया, जो किसी भी गेंदबाज़ की गुणवत्ता का प्रमाण होता है।
वनडे में भी उन्होंने 15 मैचों में 22 विकेट लिए और 3.96 की इकॉनमी रेट के साथ अपनी उपयोगिता साबित की। वह उस दौर में खेले जब भारत सीमित संसाधनों के बावजूद दुनिया भर में अपना नाम बना रहा था।
फर्स्ट क्लास और काउंटी करियर भी शानदार
दिलीप दोषी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सौराष्ट्र और बंगाल के लिए शानदार प्रदर्शन किया। बंगाल के लिए उनका योगदान बहुत अहम रहा, खासकर रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंटों में।
इसके साथ ही उन्होंने इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट में भी हिस्सा लिया, जहां उन्होंने नॉटिंघमशायर और बर्कशायर की ओर से खेला। यह अनुभव बाद में उनके क्रिकेट विश्लेषण में भी दिखा जब वे कमेंट्री के क्षेत्र में आए।
"स्पिन पंच": एक खिलाड़ी की आत्मकथा
दिलीप दोषी केवल मैदान पर ही नहीं, बल्कि मैदान के बाहर भी क्रिकेट के प्रचार-प्रसार में लगे रहे। उन्होंने अपनी आत्मकथा "Spin Punch" में अपने जीवन और करियर के उतार-चढ़ाव को बेहद दिलचस्प अंदाज में बयान किया। यह किताब क्रिकेट प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय रही और इसमें भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम युग की झलक भी देखने को मिलती है।
एक शानदार कमेंटेटर भी रहे
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद दिलीप दोषी ने कमेंट्री की दुनिया में कदम रखा और बहुत जल्दी अपनी विश्लेषणात्मक शैली से प्रसिद्धि पाई। उनकी आवाज में अनुभव और रणनीति दोनों की झलक थी। वे क्रिकेट की सूक्ष्मताओं को समझाने में माहिर थे और नई पीढ़ी को क्रिकेट की बारीकियां सिखाने में पीछे नहीं रहते थे।
पारिवारिक जीवन
दिलीप दोषी के परिवार में उनकी पत्नी कालिंदी, बेटा नयन और बेटी विशाखा हैं। नयन दोषी ने भी पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए सौराष्ट्र के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला है और काउंटी क्रिकेट में सरे की टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। यह दिखाता है कि क्रिकेट उनके परिवार में पीढ़ियों से एक परंपरा रही है।
दोषी परिवार पिछले कई वर्षों से लंदन में ही रह रहा था। भारत से दूर होने के बावजूद उनका दिल हमेशा भारतीय क्रिकेट से जुड़ा रहा।
क्रिकेट जगत में शोक की लहर
उनके निधन की खबर आते ही पूरा क्रिकेट जगत शोक में डूब गया। बीसीसीआई ने आधिकारिक बयान जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। रवि शास्त्री, जो उनके समकालीन खिलाड़ियों में से एक रहे, ने ट्वीट कर कहा, "दिलीप दोषी न केवल एक महान स्पिनर थे, बल्कि एक समझदार क्रिकेट विचारक भी थे। उनका जाना क्रिकेट जगत के लिए बड़ी क्षति है।"
हरभजन सिंह ने भी उन्हें याद करते हुए लिखा कि "उन्होंने स्पिन बॉलिंग को एक नई दिशा दी। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।"
निष्कर्ष
दिलीप दोषी का निधन भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। उन्होंने अपने छोटे से अंतरराष्ट्रीय करियर में जो प्रभाव छोड़ा, वह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्रिकेट की बारीक समझ, शानदार गेंदबाज़ी और विनम्र व्यक्तित्व ने उन्हें एक आदर्श खिलाड़ी बनाया।
“दिलीप दोषी चले गए, लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनकी छाप हमेशा जिंदा रहेगी।”
उनकी स्मृति में हम सिर झुकाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। भारतीय क्रिकेट एक और सितारे को खो चुका है, लेकिन उसका उजाला हमेशा हमारे दिलों में रहेगा।