मुंबई, 14 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हैं, वो आपस में दोस्त हैं। राजभाषा हिंदी का हर भारतीय के साथ अटूट रिश्ता है। इस दौरान गृह मंत्री ने अग्रवाल की लिखी किताब (हिंदी कहावत कोश) को जारी किया। हम राजभाषा के रूप में हिंदी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डायमंड जूबली मना रहे हैं। हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करके और देश की सभी स्थानीय भाषाओं को हिंदी के माध्यम से जोड़कर हम अपनी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
शाह ने कहा कि, गृह और सहकारिता मंत्रालयों की फाइलों के माध्यम से जुड़ी बात हिंदी में ही किए जाते है। ऐसा करने में 3 साल का समय लग गया। हिंदी एक भू-राजनीतिक भाषा के बजाय एक भू-सांस्कृतिक भाषा है। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। अब समय आ गया है कि भारत की सभी भाषाओं को मजबूत किया जाए और राजभाषा को देश की संपर्क भाषा बनाया जाए, जिससे हर कोई अपनी-अपनी भाषा में देश का कामकाज कर सके। नई शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइमरी एजूकेशन के लिए मातृभाषा पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक बच्चे के लिए भाषाई अभिव्यक्ति, सोच, समझ, तर्क और किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए सबसे आसान भाषा उसकी मातृभाषा है। केंद्र सरकार शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और न्यायपालिका में हिंदी के प्रयोग की दिशा में काम कर रही है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ने आज मेडिकल शिक्षा का पूरा पाठ्यक्रम हिंदी में कर लिया है। वहीं आने वाले दिनों में भारत की लगभग 13 भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तैयार करने पर काम चल रहा है।