मुंबई, 27 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की केंद्र सरकार की मांग सुप्रीम कोर्ट में मंजूर हो गई है। कोर्ट ने उन्हें 15 सितंबर तक पद पर बने रहने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि सामान्य परिस्थितियों में इसकी अनुमति नहीं दी जाती, लेकिन हम जनहित में इसे स्वीकार करते हैं, लेकिन इसके आगे उनके कार्यकाल को बढ़ाने की परमिशन नहीं दी जाएगी। दरअसल, संजय मिश्रा को 18 नवंबर 2023 को रिटायर होना था। केंद्र ने अध्यादेश के जरिए उनका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि कोर्ट पहले ही कह चुका था कि दूसरी बार के बाद संजय मिश्रा का कार्यकाल न बढ़ाया जाए।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल ने एक्सटेंशन देते हुए कहा कि यह देशहित और जनता से जुड़ा मसला है, लेकिन एसके मिश्रा का कार्यकाल किसी भी सूरत में 15 सितंबर की आधी रात को खत्म हो जाएगा। बेंच ने सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से ये भी कहा कि क्या डिपार्टमेंट (ईडी) अक्षम लोगों से भरा हुआ है। इस पर मेहता ने कहा कि बात अक्षमता की नहीं है, लेकिन एसके मिश्रा की मौजूदगी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के रिव्यू के लिहाज से जरूरी है। साथ ही ईडी की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि कुछ पड़ोसी देश भारत को एफएटीएफ में डालना चाहते हैं। इस लिहाज से ईडी प्रमुख यानी एसके मिश्रा की मौजूदगी जरूरी है।
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 26 जुलाई को बेंच में इस मसले पर सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर किया था। इससे पहले, 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का केंद्र का फैसला गैर-कानूनी है। इस पर केंद्र ने कहा था कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का रिव्यू चल रहा है, इसलिए संजय को 15 अक्टूबर तक पद पर रहने दिया जाए। SG मेहता ने बीते दिन बेंच से कहा था कि संजय मिश्रा के केस में कुछ अर्जेंसी है। इस पर तुरंत सुनवाई करें। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि 11 जुलाई का फैसला तीन जजों की बेंच ने सुनाया था, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल भी शामिल थे। फिलहाल वे अलग-अलग कोर्ट रूम में बैठ रहे हैं।