मुंबई, 16 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। उन्होंने पाड्डर नागसेनी, किश्तवाड़ और रामबन में जनसभा की। 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में पहले फेज की वोटिंग होनी है। इसके चलते आज यहां चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। अपनी तीन जनसभा में शाह ने कहा, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस आतंकी घटनाओं में, पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल लोगों को छोड़ना चाहते हैं, उन्हें नौकरियां देना चाहिए।लेकिन मोदी जी की सरकार में नौकरी उन्हें मिलेगी, जिनके हाथ में लैपटॉप होगा। जिनके हाथ में बंदूक होंगी उन्हें जेल जाना पड़ेगा। एक और नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस आतंक से लैस जम्मू-कश्मीर बनाना चाहते हैं, तो दूसरी ओर मोदी जी विकसित कश्मीर बनाना चाहते हैं। धारा 370 हटने के बाद यहां की महिलाओं को जो आरक्षण मिला है। उसे नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस खत्म करना चाहते हैं। मोदी जी महिलाओं के साथ गुर्जर, पहाड़ी, दलित और ओबीसी को भी आरक्षण का अधिकार देना चाहते हैं। उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के विकास का कत्ल किया है। यहां के युवाओं के भविष्य का, पहाड़ी, बकरवाल, गुज्जरों का आरक्षण छीन का उनका कत्ल किया। जिनके मंसूबे जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के हैं। उनके पास अभी भी समय है। वे वापस चले जाएं, नहीं तो भारतीय सेना और सुरक्षा बल यहां तैनात है। यहीं पर ठिकाने लगा दिए जाओगे। मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत किया। फारूक अब्दुल्ला की तीन पुश्तों ने राज किया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज कभी नहीं मिला।
शाह ने आगे कहा कि उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अफजल गुरु को फांसी नहीं देनी चाहिए। यही बताता है कि राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला की सरकार बनी तो क्या होगा? पहाड़ी और गुर्जर भाइयों को जो आरक्षण मिलता है, अनुच्छेद 370 बहाल होने पर वह नहीं मिल पाएगा, लेकिन मैं कश्मीर का माहौल देख रहा हूं। न तो फारूक अब्दुल्ला और न ही राहुल गांधी यहां सरकार बना रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन आतंकवाद का पोषक रहा है। घाटी में जब-जब NC-कांग्रेस की सरकार आई, तब-तब यहां आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। दोनों पार्टियां कहती हैं कि उनकी सरकार आई तो अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करेंगे। क्या अनुच्छेद 370 वापस होना चाहिए? अनुच्छेद 370 अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 के लिए कोई जगह नहीं है। कश्मीर में कभी भी दो प्रधानमंत्री, दो संविधान और दो झंडे नहीं हो सकते। वहां केवल एक झंडा होगा और वह हमारा तिरंगा है। मोदी जी ने घाटी में वंशवाद को खत्म कर दिया है। पंचायतों के चुनावों ने स्थानीय और योग्य लोगों को जमीनी स्तर पर निर्णय लेने का मौका दिया। याद कीजिए 90 के दशक को, मैं फारूक अब्दुल्ला से पूछना चाहता हूं कि आप यहां के मुख्यमंत्री थे, राजीव गांधी के साथ समझौता करके चुनकर आए। जब हमारी घाटी खून से लथपथ हो गई, तब आप कहां थे? नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार आई तो जम्मू-कश्मीर में फिर से गोलियां चलेंगी, पथराव होगा, आतंकियों के जनाजे निकलेंगे, ताजिया जुलूस बंद हो जाएगा, सिनेमा हॉल बंद हो जाएंगे, अमरनाथ यात्रा पर हमला होगा और जम्मू-कश्मीर में जो निवेश आ रहा है, इसकी जगह बेरोजगारी होगी।