मुंबई, 01 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सोमवार शाम छह बजे उपराष्ट्रपति आवास खाली कर दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर स्थित अभय चौटाला के फार्महाउस में शिफ्ट हो गए। उन्होंने यह आवास पद से इस्तीफे के 42 दिन बाद छोड़ा। इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख अभय चौटाला ने बताया कि उनके परिवार और धनखड़ के बीच लंबे समय से रिश्ते रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने आग्रह किया था कि धनखड़ कुछ समय के लिए उनके यहां रहें और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।
धनखड़ ने 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद से वे सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए। विपक्ष ने इस दौरान सरकार पर आरोप लगाए कि उन्हें नज़रबंद किया गया है। 9 अगस्त को राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने यहां तक सवाल किया था कि क्या धनखड़ हाउस अरेस्ट हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि इस्तीफे के बाद उनकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। हालांकि, गृहमंत्री अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है। धनखड़ उपराष्ट्रपति आवास के पास एन्क्लेव में रह रहे थे। अब वे टाइप-8 बंगला मिलने तक चौटाला के फार्महाउस में परिवार के साथ समय बिताएंगे। उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक वे इन दिनों योग और टेबल टेनिस में समय बिता रहे हैं।
धनखड़ और चौटाला परिवार के रिश्ते करीब 40 साल पुराने हैं। 1989 में तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने उन्हें राजस्थान का उभरता हुआ नेता बताया था। देवीलाल को धनखड़ अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। उसी दौर में उन्होंने दिल्ली के बोट क्लब पर देवीलाल के जन्मदिन के मौके पर आयोजित विपक्षी रैली के लिए राजस्थान से 500 गाड़ियां जुटाई थीं। इसके बाद देवीलाल ने उन्हें झुंझुनूं सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया और वे चुनाव जीते। देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने पर धनखड़ को भी मंत्री बनाया गया। लेकिन जब वी.पी. सिंह ने देवीलाल को मंत्रिमंडल से बाहर किया तो विरोध में धनखड़ ने भी इस्तीफा दे दिया। हाल ही में धनखड़ ने पूर्व विधायक पेंशन के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में दोबारा आवेदन किया है। वे 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस विधायक रहे थे और उन्हें पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन मिल रही थी, जो जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद बंद हो गई थी। धनखड़ भारतीय संसदीय इतिहास में पहले ऐसे उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ। दिसंबर 2024 में विपक्ष ने उन पर पक्षपात और विपक्षी सांसदों की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव लाया था, जो तकनीकी कारणों से खारिज हो गया। विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि धनखड़ सदन में केवल सत्ता पक्ष के पक्षधर बने रहे।