मुंबई, 22 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को लेकर चल रही बहस के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संसद ही सबसे ऊपर है। धनखड़ दिल्ली यूनिवर्सिटी में संविधान पर आयोजित प्रोग्राम में स्पीच दे रहे थे। धनखड़ ने कहा, संसद सर्वोच्च है और उसके ऊपर कोई नहीं हो सकता। सांसद ही असली मालिक हैं, वही तय करते हैं कि संविधान कैसा होगा। उनके ऊपर कोई और सत्ता नहीं हो सकती। इससे पहले 17 अप्रैल को धनखड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का काम ऐसा है, जैसे वो सुप्रीम संसद हो। धनखड़ का यह बयान तब आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान का मामला पहुंचा है। दुबे ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। ऐसे में CJI किसी राष्ट्रपति को निर्देश कैसे दे सकते हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और संसद के कार्यक्षेत्र को लेकर बहस तमिलनाडु सरकार और वहां के राज्यपाल के बीच विवाद से शुरू हुई थी। राज्य सरकार के बिल रोके जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को समय सीमा के भीतर एक्शन लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के बिलों को लेकर राष्ट्रपति के लिए भी एक महीने की टाइम लाइन तय कर दी थी। जिसके बाद, धनखड़ ने कहा, एक प्रधानमंत्री ने आपातकाल लगाया था, उन्हें 1977 में जवाबदेह ठहराया गया था। इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संविधान जनता के लिए है और यह उन्हें सुरक्षित रखता है। संविधान में कहीं नहीं कहा गया है कि संसद से ऊपर कोई और संस्था है। धनखड़ ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा कहे गए शब्द, देश के सर्वोच्च हित को ध्यान में रखकर ही बोले जाते हैं। इससे पहले 17 अप्रैल को जगदीप धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं।