22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपना बयान दिया है। यह हमला जम्मू-कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थल बैसरन पर हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। मोहन भागवत ने सोमवार को मुंबई में आयोजित पंडित दीनानाथ मंगेशकर की 83वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में इस हमले के संदर्भ में बात की। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई धर्म और अधर्म की है, और हिंदू समाज कभी भी किसी से उसका धर्म नहीं पूछेगा।
धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई
मोहन भागवत ने कहा, “यह जो लड़ाई चल रही है, वह संप्रदायों और धर्मों के बीच नहीं है। यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है। हमारे सैनिकों या हमारे लोगों ने कभी किसी से उसका धर्म पूछकर नहीं मारा, लेकिन कट्टरपंथी लोगों ने ऐसा किया। हिंदू ऐसा कभी नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि हमें देश को सशक्त बनाना चाहिए ताकि इस तरह के असूरों का नाश हो सके।
भागवत ने यह भी जोर देकर कहा कि “हमारे दिलों में गुस्सा है, और यह स्वाभाविक है क्योंकि हमें राक्षसों का नाश करने के लिए अपार शक्ति की आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कुछ लोग इस वास्तविकता को समझने के लिए तैयार नहीं हैं और उनके विचारों में अब कोई बदलाव संभव नहीं है।
दुष्टों का सफाया होना चाहिए
आरएसएस प्रमुख ने अपने बयान में रावण का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि रावण भगवान शिव का भक्त था, वेदों का ज्ञाता था, लेकिन उसकी बुरी सोच और क्रूरता ने उसे कभी सुधारने नहीं दिया। भागवत ने कहा, “रावण तब तक नहीं बदलता जब तक उसे मारा नहीं जाता। दुष्टों का सफाया होना चाहिए और यह अपेक्षा पूरी होगी।” उनके अनुसार, यही अपेक्षाएं समाज के लिए पूरी होंगी, क्योंकि एक अच्छा समाज उसी में विकसित हो सकता है जो अपने राक्षसों से मुक्त हो।
समाज की एकता पर जोर
भागवत ने समाज में एकता की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि “अगर हम एकजुट हैं, तो हमें कोई बुरी नीयत से देख नहीं पाएगा। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी आंख फोड़ दी जाएगी।” उनके अनुसार, घृणा और शत्रुता हिंदू समाज के स्वभाव में नहीं हैं, लेकिन चुपचाप सहना भी उनका स्वभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि अहिंसा को अपनाने वाले को भी मजबूत होना चाहिए।
समाप्ति पर मोहन भागवत की अपील
भागवत ने अपने बयान में देशवासियों से आह्वान किया कि वे अपनी एकता और शक्ति का उपयोग करते हुए देश को मजबूत बनाएं। उनका मानना है कि जब तक समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक इस तरह की घटनाओं का मुकाबला करना मुश्किल होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार जीने का अधिकार होना चाहिए, और इसे कोई भी हानि नहीं पहुंचा सकता।
इस बयान ने एक बार फिर से यह साफ किया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत किसी भी प्रकार की हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख में हैं, और उन्होंने समाज से इस संकट से निपटने के लिए एकजुट होने की अपील की है।