राजस्थान की राजनीति एक बार फिर उस वक्त गरमा गई जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के जयपुर स्थित आवास समेत कई ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की। यह कार्रवाई 48,000 करोड़ रुपये के पीएसीएल पोंजी घोटाले से संबंधित मानी जा रही है, जिसे लेकर पहले ही दो आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं और करोड़ों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
🔍 क्या है मामला?
सूत्रों के अनुसार, ईडी की यह छापेमारी 2015 में शुरू हुई मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है, जो कि पीएसीएल इंडिया लिमिटेड, पीजीएफ लिमिटेड, और उनके प्रमोटर दिवंगत निर्मल सिंह भंगू के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से उपजी है। इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने झूठे निवेश योजनाओं के जरिये लाखों निवेशकों से लगभग 48,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
ईडी को संदेह है कि इस "अपराध की आय" को देश-विदेश की कई संपत्तियों और संस्थाओं में स्थानांतरित किया गया, जिनमें से कुछ का संबंध कथित रूप से खाचरियावास से जुड़ी संस्थाओं से भी है। अब तक की जांच में ईडी ने 706 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया में 462 करोड़ की अचल संपत्तियां भी शामिल हैं।
🏠 जयपुर में छापेमारी, राजनीतिक आरोपों की आंधी
मंगलवार को जयपुर में खाचरियावास के घर सहित करीब 15 ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान सीआरपीएफ के जवानों की भी तैनाती रही। जैसे ही कार्रवाई की खबर फैली, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ खाचरियावास के आवास पर जुट गई और ईडी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगी।
अपने घर के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूरी तरह "राजनीति से प्रेरित" है। उन्होंने कहा,
"मैं सरकार के खिलाफ बोलता हूं, इसलिए मुझे डराने की कोशिश की जा रही है। लेकिन मैं न तो डरता हूं और न ही झुकता हूं।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी कंपनी या घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है और यदि कोई सवाल होगा तो वह कानूनी तरीके से उसका जवाब देंगे। उनके अनुसार,
"ईडी ने तलाशी का कारण स्पष्ट नहीं किया है, केवल नोटिस लाया गया है।"
🗣️ विपक्ष का आरोप: राजनीतिक बदले की कार्रवाई
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजस्थान में विपक्षी कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया है। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे "राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई" बताया।
जूली ने सोशल मीडिया पर लिखा,
"पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं। इसलिए डर के मारे भाजपा ने उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों को लगा दिया है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।"
उन्होंने 2020 में भी खाचरियावास को इसी प्रकार राजनीतिक दबाव में लाने की कोशिश का हवाला दिया और मौजूदा कार्रवाई को "निंदनीय" करार दिया।
🛑 खाचरियावास का जवाब: ‘क्रांति हाउस’ से करेंगे नई शुरुआत
खाचरियावास ने कहा कि वह संयुक्त परिवार में रहते हैं, और ईडी की इस तरह की कार्रवाई से पूरा परिवार तनाव में है। उन्होंने एक प्रतीकात्मक घोषणा करते हुए कहा कि वह अब एक नया घर बनाएंगे, जिसका नाम ‘क्रांति हाउस’ रखेंगे, जहां से वे ‘विद्रोह’ की शुरुआत करेंगे।’
उन्होंने कहा,
"ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करता है। हम सरकार से नहीं डरते। सच्चाई के साथ खड़े हैं और हमेशा रहेंगे।"
📝 निष्कर्ष
राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ ईडी की कार्रवाई ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किया जा रहा है? जहां एक ओर ईडी अपनी कार्रवाई को जांच का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम को केंद्र सरकार की तानाशाही नीति और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास बता रही है।
यह देखना अब बाकी है कि आने वाले दिनों में इस जांच की दिशा क्या मोड़ लेती है और क्या इसमें वास्तविक वित्तीय अनियमितताएं उजागर होती हैं या यह एक राजनीतिक चाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होती है। फिलहाल, राजस्थान की सियासत में इस छापेमारी ने हलचल जरूर पैदा कर दी है।