नई दिल्ली, 15 अप्रैल । कोविड-19 महामारी के बीच खुदरा के बाद थोक महंगाई दर में भारी उछाल आया है। थोक मूल्य संचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर मार्च में बढ़कर 7.39 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है, जबकि पिछले महीने यह 4.17 फीसदी थी। थोक महंगाई का उच्च स्तर इससे पहले अक्टूबर, 2012 में था, जब महंगाई दर 7.4 फीसदी थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को ये आंकड़े जारी किए हैं।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कच्चे तेल और मेटल की बढ़ती कीमतों की वजह से थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर मार्च 2021 में 8 साल के उच्चतम स्तर 7.39 फीसदी पर पहुंच गई। इसके अलावा पिछले साल मार्च के निम्न आधार के कारण भी मार्च में थोक महंगाई दर तेजी से बढ़ी है। दरअसल, पिछले साल कोविड-19 महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कीमतें घटी थीं।
आधिकारिक बयान के अनुसार मार्च 2021 में कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और मूल धातु की कीमतों में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में भारी वृद्धि हुई है। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस (8.64 फीसदी), गैर-खाद्य वस्तुओं (1.9 फीसदी) और खनिजों (0.35 फीसदी) की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, फरवरी 2021 की तुलना में मार्च 2021 में खाद्य पदार्थों की कीमतों में (शून्य से 0.45 फीसदी) की गिरावट आई है।
आंकड़ों के मुताबिक मार्च में दूध की महंगाई दर फरवरी के 3.21 फीसदी से घटकर 2.65 फीसदी रही है। अंडा, मीट, मछली की महंगाई फरवरी के -0.78 फीसदी से बढ़कर 5.38 फीसदी रही है, जबकि मार्च में दाल की महंगाई फरवरी के 10.25 फीसदी से बढ़कर 13.14 फीसदी पर आ गई है। प्याज की महंगाई फरवरी के 31.28 फीसदी से घटकर 5.15 फीसदी पर रही है। उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूपीआई पर आधारित महंगाई फरवरी में 4.17 फीसदी, जबकि मार्च 2020 में 0.42 फीसदी थी। थोक महंगाई दर में लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी हुई है।