आज चीन के तियानजिंग शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन वैश्विक कूटनीति के लिहाज से एक ऐतिहासिक अवसर बन गया। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत कई देशों के शीर्ष नेता शामिल हुए। लेकिन इस बैठक की सबसे अहम बात यह रही कि भारत और चीन के प्रतिनिधि पूरे सात साल बाद आमने-सामने मिले।
इस मुलाकात की खासियत यह भी रही कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ के बीच भारत और चीन की नजदीकी को वैश्विक राजनीति में एक नई दिशा के रूप में देखा जा रहा है। इस बैठक के बाद एक अहम संकेत मिला है—भारत और चीन के बीच बंद पड़ी सीधी उड़ानों की सेवा जल्द फिर से शुरू हो सकती है।
क्यों बंद हुई थी उड़ानें?
भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों का संचालन वर्ष 2020 में पूरी तरह से बंद हो गया था। इसके पीछे दो मुख्य कारण थे—कोविड-19 महामारी और गलवान घाटी में बढ़ा सीमा तनाव। कोरोना का केंद्र चीन रहा और उसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में भी ठंडापन आ गया। 20 मार्च 2020 को आखिरी कमर्शियल डायरेक्ट फ्लाइट ऑपरेट की गई थी। इसके बाद से अब तक सीधी उड़ानें बंद हैं।
सीधी उड़ानों की गैरमौजूदगी में क्या हो रही थी दिक्कत?
फिलहाल, जो भी यात्री भारत से चीन जाना चाहते हैं, उन्हें थर्ड कंट्री यानी तीसरे देश के रास्ते यात्रा करनी पड़ती है। इसके लिए पहले थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कजाकिस्तान, दुबई, हांगकांग या वियतनाम जाकर, वहां से चीन के लिए फ्लाइट लेनी होती है। इससे यात्रा का समय 6 घंटे से बढ़कर 14 घंटे तक हो जाता है और खर्च भी दोगुना हो गया है। पहले जहां टिकट ₹35,000–₹50,000 में मिल जाती थी, अब वही ट्रांजिट के चलते ₹60,000–₹90,000 तक जा पहुंची है। इससे न केवल लोगों का समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि लंबी यात्रा से स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
कब से शुरू हो सकती हैं उड़ानें?
सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली अक्टूबर 2025 से हो सकती है। एयरलाइंस कंपनियों को इसके लिए हवाई अड्डों पर स्लॉट आवंटित किए जा सकते हैं। पहले 2019 तक सालाना औसतन 2,588 डायरेक्ट फ्लाइट्स भारत और चीन के बीच संचालित होती थीं, यानी प्रतिदिन लगभग 7 फ्लाइट्स।
क्या होगा फायदा?
सीधी उड़ानें शुरू होने से व्यापार, शिक्षा, पर्यटन और धार्मिक यात्राओं को काफी बढ़ावा मिलेगा। खासकर मानसरोवर यात्रा करने वालों को भी बहुत राहत मिलेगी। भारत-चीन के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही मजबूत हैं, और अब दोबारा सीधी कनेक्टिविटी से यह रिश्ता और भी मजबूत हो सकता है।
निष्कर्ष
तियानजिंग SCO शिखर सम्मेलन ने भारत-चीन संबंधों में नई जान फूंकी है। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि तनाव की जगह अब सहयोग और संवाद का रास्ता अपनाया जा रहा है। यदि अक्टूबर से सीधी उड़ानें शुरू होती हैं, तो यह न केवल आम लोगों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग के लिए भी एक सकारात्मक कदम साबित होगा।