सोने के दाम में आज 29 अप्रैल को बड़ा उछाल देखने को मिला है। पिछले पांच दिनों से लगातार गिरावट झेल रहे गोल्ड प्राइस में आखिरकार तेजी आई है। सोना 400 रुपये से ज्यादा महंगा हो गया है। कुछ दिनों पहले सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर चुका था, लेकिन अचानक आई 3000 रुपये की बड़ी गिरावट के बाद इसमें सुस्ती आ गई थी। अब एक बार फिर से बाजार में चमक लौटी है।
क्या हैं ताजा दाम?
गुड रिटर्न्स के अनुसार, 24 कैरेट शुद्धता वाला 10 ग्राम सोना आज 97,970 रुपये पर कारोबार कर रहा है। जबकि पिछली सत्र में इसका भाव 97,530 रुपये था। यानी सोने के दाम में 440 रुपये की तेजी आई है। वहीं, अगर चांदी की बात करें, तो उसमें कोई बड़ी हलचल नहीं दिखी है। 1 किलोग्राम चांदी 1,00,500 रुपये के आसपास बनी हुई है।
कुछ दिन पहले का हाल
हाल ही में सोना 1 लाख रुपये के पार चला गया था, जिसने निवेशकों को चौंका दिया था। लेकिन एक दिन में करीब 3000 रुपये की भारी गिरावट ने बाजार को झटका दिया। इसके बाद से सोने की कीमतों में नरमी बनी हुई थी, जो अब जाकर टूटी है। निवेशक अब उम्मीद कर रहे हैं कि आगे सोने में फिर से मजबूती देखी जा सकती है।
आगे क्या हो सकता है?
सोने की कीमतों का भविष्य काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय हालातों पर निर्भर करेगा।
अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्ते बने हुए हैं। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ में कटौती की बात कही थी, लेकिन चीन ने बातचीत बंद करने का संकेत दिया। इसके बाद से दोनों देशों के बीच कोई बड़ी हलचल नहीं हुई है।
अगर यूएस-चीन ट्रेड वॉर बढ़ता है, तो सोने की कीमतों में एक बार फिर से रॉकेट जैसी तेजी देखने को मिल सकती है। वहीं, अगर हालात सामान्य होते हैं, तो सोने के दामों में नरमी भी आ सकती है।
कितनी जा सकती है कीमत?
कमोडिटी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर वैश्विक स्तर पर स्थिरता आती है, तो अगले 6 महीनों में सोना 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक फिसल सकता है।
लेकिन अगर तनाव और आर्थिक अस्थिरता बनी रहती है, तो इस साल के अंत तक सोने की कीमत 4000 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है।
यह भारत में लगभग 1,53,000 रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर होगा।
यार्डेनी रिसर्च के प्रेसिडेंट एड यार्डेनी का कहना है कि डॉलर में कमजोरी, वैश्विक आर्थिक सुस्ती और अमेरिका-चीन के तनाव ने सोने की कीमत को सपोर्ट किया है। यदि हालात ऐसे ही रहे, तो 2026 तक सोना 5000 डॉलर प्रति औंस के पार भी जा सकता है।
सोने की कीमतों को क्या प्रभावित करता है?
भारत में सोने की कीमतें केवल मांग और आपूर्ति से प्रभावित नहीं होतीं। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय कारक भी इन पर प्रभाव डालते हैं, जैसे:
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लंदन ओटीसी स्पॉट मार्केट
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कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स मार्केट
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अमेरिका और चीन के आर्थिक संबंध
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वैश्विक ब्याज दरें और डॉलर की मजबूती या कमजोरी
सोने को एक सेफ हेवन असेट माना जाता है। जब भी वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता होती है, तो निवेशक सोने में पैसा लगाना सुरक्षित समझते हैं, जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है।
कौन तय करता है सोने के दाम?
वैश्विक स्तर पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) सोने की कीमत तय करता है। ये कीमतें यूएस डॉलर में तय होती हैं और पूरी दुनिया के लिए एक बेंचमार्क का काम करती हैं।
भारत में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और टैक्स जोड़कर भारतीय बाजार के लिए दरें तय करता है। यही दरें रिटेल बाजार में विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को दी जाती हैं।
निष्कर्ष
फिलहाल सोने में फिर से तेजी लौटती दिख रही है। हालांकि, इसका भविष्य वैश्विक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सोने में निवेश करने से पहले बाज़ार की गतिविधियों पर नज़र रखें और लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निवेश करें।